कैंसर का पता लगाने के लिए मैमोग्राफी का उपयोग करके स्तन स्क्रीनिंग की जाती है। मैमोग्राम का अध्ययन दो डॉक्टर करते हैं, जिन्हें रेडियोलॉजिस्ट कहा जाता है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) चिकित्सा के क्षेत्र में भी योगदान दे रहा है। हाल ही में ‘द लैंसेट ऑन्कोलॉजी जर्नल’ में एक नया शोध प्रकाशित हुआ है जो एआई की उपलब्धि पर है। इस शोध के मुताबिक, आई समर्थित मैमोग्राफी स्क्रीनिंग ने स्टैंडर्ड स्क्रीनिंग की तुलना में वन फिफ्थ अधिक स्तन कैंसर का पता लगाया है। एआई के स्तर कैंसर का पता लगाने की क्षमता के कारण रेडियोलॉजिस्ट के लिए स्क्रीन रीडिंग कार्यभार लगभग आधा हो गया है।
एआई समर्थित मैमोग्राम से स्तर कैंसर की जांच आसान
स्वीडन की एक यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में पाया गया कि एआई समर्थित मैमोग्राम के उपयोग से दो रेडियोलॉजिस्ट का विकल्प कम हो जाता है और एक की जगह एआई ले सकता है। इससे स्तन ट्यूमर की जांच की प्रक्रिया अधिक कुशल हो जाएगी।
80000 महिलाओं की जाँच
इस अध्ययन के लिए स्क्रीनिंग कार्यक्रम में 40-80 आयु वर्ग की 80000 स्वीडन महिलाओं की जांच रिपोर्ट का अध्ययन किया गया। शोधकर्ताओं ने एआई समर्थित मैमोग्राम रीडिंग सिस्टम का उपयोग करके परीक्षण का प्रयास किया। अध्ययन में आधी महिलाओं को सामान्य स्क्रीनिंग प्रोटोकॉल और अन्य आधी महिलाओं का एआई समर्थित प्रोटोकॉल प्राप्त हुआ।एआई समर्थित स्क्रीनिंग में 28 फीसदी यानी 244 महिलाओं में कैंसर पाया गया, जबकि स्टैंडर्ड स्क्रीनिंग के परिणाम में 25 फीसदी महिलाओं (203 महिलाओं) में कैंसर मिला। तुलना में एआई ने 41 अधिक महिलाओं में कैंसर का पता लगाया।
कैंसर की जांच का स्टैंडर्ड तरीकाकैंसर का पता लगाने के लिए मैमोग्राफी का उपयोग करके स्तन स्क्रीनिंग की जाती है। मैमोग्राम का अध्ययन दो डॉक्टर करते हैं, जिन्हें रेडियोलॉजिस्ट कहा जाता है।जांच में कोई असामान्यता दिखने पर ब्रेस्ट स्क्रीन मूल्यांकन क्लिनिक में आगे के परीक्षण के लिए भेजा जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में लगभग पांच महीने का समय लग सकता है, जिसे एआई समर्थित मैमोग्राम की मदद से रेडियोलॉजिस्ट के समय को कम किया जा सकता है। सामान्यतः: एक रेडियोलॉजिस्ट एक घंटे में 50 मैमोग्राफी की जांच कर सकते हैं। हालांकि एआई स्टैंडर्ड केयर यानी डबल रीडिंग की तुलना में रिस्क स्कोर उपलब्ध कराने में असक्षम पाया गया।