स्विस अनुसंधान परामर्शदाता अर्थ एक्शन (ईए) के अनुसार चीन, ब्राजील, इंडोनेशिया, थाईलैंड, रूस, मैक्सिको, अमेरिका, सउदी अरब, कांगो, ईरान और कजाकिस्तान के साथ भारत उन 12 देशों में शामिल है, जो दुनिया के 52 फीसदी कुप्रबंधित प्लास्टिक कचरे के लिए जिम्मेदार है।
अपशिष्ट प्रबंधन क्षमता के कारण इस साल लगभग 6,86,42,999 टन अतिरिक्त प्लास्टिक कचरा प्रकृति में समाप्त हो जाएगा, बावजूद 2040 तक वैश्विक प्लास्टिक प्रदूषण तीन गुना हो जाएगा। 2023 में उत्पादित होने वाले 159 मिलियन टन प्लास्टिक में से 43 फीसदी (68.5 मिलियन टन) प्रदूषण का कारण बनेगा।स्विस अनुसंधान परामर्शदाता अर्थ एक्शन (ईए) के अनुसार चीन, ब्राजील, इंडोनेशिया, थाईलैंड, रूस, मैक्सिको, अमेरिका, सउदी अरब, कांगो, ईरान और कजाकिस्तान के साथ भारत उन 12 देशों में शामिल है, जो दुनिया के 52 फीसदी कुप्रबंधित प्लास्टिक कचरे के लिए जिम्मेदार है। 28 जुलाई को पृथ्वी ने अपना पहला ओवरशूट दिवस देखा। ईए के अनुसार ओवरशूट दिवस यानी वह बिंदु जब प्लास्टिक की मात्रा वैश्विक अपशिष्ट प्रबंधन क्षमता से अधिक हो जाती है।
रिपोर्ट के अनुसार प्लास्टिक ओवरशूट दिवस, देश के कुप्रबंधित अपशिष्ट सूचकांक (एमडब्ल्यूआई) के आधार पर निर्धारित किया जाता है। उत्पादित और उपयोग किए जाने वाले प्लास्टिक की मात्रा के बीच असंतुलन होने पर जब वे अपशिष्ट बन जाते हैं, जो प्रदूषण का मूल कारण है। अपशिष्ट प्रबंधन क्षमता और प्लास्टिक खपत के अंतर को एमडब्ल्यूआई कहा जाता है। सबसे अधित कुप्रबंधन करने वाले मोजाम्बिक (99.8%), नाइजीरिया (99.44%) और केन्या (98.9%) अफ्रीकी देश हैं। ईए रिपोर्ट के अनुसार भारत एमडब्ल्यूआई में चौथे स्थान पर है। यहां उत्पन्न कुल प्लास्टिक कचरे का 98.55 फीसदी कुप्रबंधन होता है।