प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार सुबह मां हीराबा से मुलाकात के बाद पंचमहल जिले के प्रसिद्ध तीर्थस्थल पावागढ़ पहुंचे। उन्होंने महाकाली के शिखर पर झंडा फहराया। पांच सदी बाद इस शिखर पर झंडा फहराया गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि सदियां बदलती हैं। युग बदलते हैं लेकिन आस्था का शिखर शाश्वत रहता है। गुप्त नवरात्रि से पहले हमारे सामने पावागढ़ शक्ति पीठ दैवीय रूप से तैयार है। मोदी ने महाकाली के दर्शनकर विकास कार्यों का उद्घाटन किया।
उन्होंने कहा कि यह मेरा पुण्य है कि मैंने माताजी को देश की मां और बहनों को समर्पित किया है। पावागढ़ और पंचमहल की तपस्या आज पूरी हो गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि विवाह होता है, तो भक्त माता के चरणों में विवाह पत्रिका रखता है और पत्रिका का पाठ करता है। ध्वजारोहण भक्तों के लिए और शक्ति उपासकों के लिए इससे बड़ा उपहार नहीं हो सकता। पावागढ़ मंदिर को विकसित किया गया है। भक्तों की सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं। ऊंचा स्थान होने के कारण सुरक्षा की बहुत जरूरत होती है। इसलिए सभी को अनुशासित रहने की जरूरत है। मैं यहां रोप-वे से आया हूं। रोप-वे से सफर सुविधाजनक हो गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पावागढ़, सापुतारा और अंबाजी रोप-वे से जुड़ रहे हैं। पंचमहल में पर्यटन की संभावना से युवाओं के लिए रोजगार के अवसर आएंगे। कला और सांस्कृतिक विरासत को नई पहचान मिलेगी। चंपानेर वह स्थान है जहां गुजरात में ज्योतिग्राम योजना शुरू की गई थी। जिसने गुजरात को 24 घंटे बिजली देना शुरू किया गया । मैं एक बार फिर महाकाली के चरणों में नतमस्तक हूं। यहां दर्शन के लिए आने वाले भक्तों को शुभकामनाएं देता हूं। आज उनके पूर्वजों के सपने साकार हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि पावागढ़ की चोटी पर स्थित माताजी के मंदिर का कायाकल्प किया गया है। गर्भगृह को छोड़कर पूरे मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया है। पहले मंदिर के पीछे एक दरगाह थी जिसे अनुनय-विनय और सर्वसम्मति से स्थानांतरित किया गया है । 2000 लोगों को समायोजित करने के लिए मुख्य मंदिर और चौक का विस्तार किया गया है । मांची से रोप-वे अपर स्टेशन तक 2200 सीढ़ियों का निर्माण किया गया है। ऊपरी स्थान से दुधिया झील तक 500 नई सीढ़ियां बनाई गई हैं। निकट भविष्य में पावागढ़ में यज्ञ विद्यालय का निर्माण किया जाएगा। दुधिया झील से मंदिर तक पहुंचने के लिए दो बड़ी लिफ्ट भी लगेंगी। साथ ही दुधिया और छसिया झीलों को जोड़ने वाला जलमार्ग का निर्माण इस तरह से किया जाएगा कि पूरे मंदिर परिसर की परिक्रमा की जा सके।