निजी क्षेत्र के कोटक महिंद्रा बैंक ने सोमवार को कहा कि उसे अपने कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के उत्तराधिकार के बारे में रिजर्व बैंक से कोई सूचना नहीं मिली है। इसके वर्तमान सीईओ उदय कोटक का कार्यकाल इस साल दिसंबर में समाप्त हो रहा है और सीईओ के कार्यकाल को सीमित करने से जुड़े आरबीआई के नए नियमों के अनुसार, वह कार्यालय में नहीं बने रह सकते हैं।
कोटक ने घोषणा की है कि वह ऋणदाता में गैर-कार्यकारी बोर्ड के सदस्य के रूप में बने रहेंगे, जिसमें उनकी हिस्सेदारी 26 प्रतिशत है, जिससे यह प्रमुख प्रमोटर शेयरधारकों वाले निजी क्षेत्र के कुछ बड़े बैंकों में से एक बन गया है। बैंक ने एक बयान में कहा, ‘हम यह बताना चाहते हैं कि आरबीआई की ओर से कोटक महिंद्रा बैंक या उसके निदेशक मंडल के सदस्यों को सीईओ के उत्तराधिकार को लेकर कोई औपचारिक या अनौपचारिक सूचना नहीं दी गई है।
बैंक का यह बयान उस मीडिया रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया के तौर पर आया है, जिसमें कहा गया था कि नियामक बैंक पर किसी बाहरी व्यक्ति को उत्तराधिकारी के रूप में नियुक्त करने के लिए दबाव डाल रहा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आरबीआई इस बात की समीक्षा कर रहा है कि कोटक महिंद्रा बैंक की पूर्ण स्वामित्व वाली बीमा सहायक कंपनियों में हिस्सेदारी से कोई जोखिम है या नहीं।
इससे पहले मीडिया में आई एक खबर के अनुसार, बैंक ने उत्तराधिकारी की तलाश के लिए एक कार्यकारी खोज फर्म को नियुक्त किया है और केवीएस मणियन और शांति एकांबरम चयन के लिए आंतरिक उम्मीदवारों में शामिल थे। बैंक के बयान में कहा गया है कि उसे बीमा इकाइयों में अपनी हिस्सेदारी की मात्रा के बारे में आरबीआई सहित नियामकों से मंजूरी मिल गई है और इस पहलू पर भी नियामक से कोई सूचना नहीं मिली है।
गौरतलब है कि निवेशकों ने हाल ही में उदय कोटक के उत्तराधिकारी के मुद्दे पर कुछ बेचैनी दिखाई है ऐसा शेयर मूल्यों पर दबाव से पता चलता है। उधर, शेयरधारकों को लिखे अपने पत्र में कोटक ने उद्यमशीलता की भावना पर ओवर रेगुलेशन के प्रभाव पर चिंता व्यक्त की है।