दिल्ली अध्यादेश के जरिए केंद्र सरकार ने दिल्ली में ग्रुप ए के अधिकारियों के तबादले और अनुशासनात्मक कार्रवाई का अधिकार उपराज्यपाल को दे दिया है। इसका दिल्ली सरकार द्वारा विरोध किया जा रहा है।
केंद्र सरकार लोकसभा में आज दिल्ली सेवा विधेयक पेश करेगी। संशोधित कार्य सूची के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस विधेयक को सदन में पेश करेंगे। वहीं, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय विधेयक पेश किए जाने के कारणों पर सदन में बयान देंगे।
इस विधेयक के पास होने के बाद बनने वाला कानून दिल्ली सेवा अध्यादेश का स्थान लेगा, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में वरिष्ठ नौकरशाहों की नियुक्ति और तबादले के लिए प्राधिकरण बनाने का प्रावधान है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक के अनुसार, तबादले व तैनाती दिल्ली के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय कमेटी करेगी। इसमें मुख्य सचिव और प्रधान गृह सचिव सदस्य होंगे। समिति की सलाह पर उपराज्यपाल तबादले और तैनाती करेंगे।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को ‘राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार (संशोधन) विधेयक’ को मंजूरी दी थी। यह 19 मई को केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश की जगह लेने के लिए पेश किया जाएगा। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी ने अध्यादेश का कड़ा विरोध किया है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल भी इस अध्यादेश के खिलाफ हैं।
विधेयक को लेकर क्या है विवाद
- दिल्ली सरकार के अधिकारियों के तबादले और तैनाती का अधिकार एलजी के कार्यकारी नियंत्रण में था, लेकिन 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में दिल्ली पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और जमीन के अलावा अन्य सेवाओं का अधिकार दिल्ली की चुनी हुई सरकार को दिया था।
- सुप्रीम कोर्ट के फैसले के हफ्ते बाद ही केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर अधिकारियों के तबादले का अधिकार वापस एलजी को सौंप दिया था।
- दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार केंद्र के इस अध्यादेश के खिलाफ है और विपक्ष का समर्थन जुटा रही है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार को समर्थन देने की बात भी कही है। इससे पहले बीते मंगलवार को ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिल्ली अध्यादेश से जुड़े विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी थी।