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ओवैसी ने ज्ञानवापी पर सीएम योगी के बयान की निंदा की, बताया न्यायिक सीमा का उल्लंघन

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सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक न्यूज एजेंसी को दिए साक्षात्कार में ज्ञानवापी पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि यदि वह मस्जिद है तो वहां त्रिशूल कैसे बने हैं, ज्योतिर्लिंग और देव प्रतिमा क्यों हैं, उसकी दीवारें चिल्ला चिल्ला कर क्या कह रही हैं।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ज्ञानवापी पर दिए गए बयान की एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने निंदा की है। हैदराबाद के सांसद ओवैसी ने सोमवार को कहा कि सीएम योगी जानते हैं कि पूरा मामला अदालत में है। मुस्लिम पक्ष ने एएसआई से ज्ञानवापी परिसर के सर्वे करवाने के आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दे रखी है और कुछ दिन में इसका फैसला आना है। इसके बावजूद सीएम योगी का इस प्रकार बयान देना न्यायिक सीमा का उल्लंघन है।

मुस्लिम समाज समाधान के लिए करे पहल 
इससे पहले, सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक न्यूज एजेंसी को दिए साक्षात्कार में ज्ञानवापी पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि ज्ञानवापी को यदि मस्जिद कहेंगे तो विवाद होगा, उसे ज्ञानवापी ही बोलना चाहिए। योगी ने कहा कि यदि वह मस्जिद है तो वहां त्रिशूल कैसे बने हैं, ज्योतिर्लिंग और देव प्रतिमा क्यों हैं, उसकी दीवारें चिल्ला-चिल्ला कर क्या कह रही हैं? पहली बार ज्ञानवापी मुद्दे पर अपनी राय रखते हुए सीएम योगी ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक गलती है। मुस्लिम समाज को खुद इसके समाधान की पहल करनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि ज्ञानवापी में भौतिक साक्ष्य हैं, शास्त्रीय और पुरातात्विक प्रमाण भी हैं तो इस पर न्यायालय से निर्णय होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा सकता है, लेकिन साक्ष्य को तोड़-मरोड़ नहीं सकते हैं। भगवान ने जिसे दृष्टि दी है वह देखे कि मस्जिद के अंदर त्रिशूल क्या कर रहा है, हमने तो नहीं रखा है। लोग प्रमाण को भी नकार रहे हैं।

भाजपा की सांप्रदायिक राजनीति का हिस्सा…
सीएम योगी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए ओवैसी ने कहा, उन्हें (योगी आदित्यनाथ को) यह पढ़ना चाहिए कि स्वामी विवेकानंद ने ओडिशा के एक प्रमुख मंदिर के बारे में क्या कहा था, वह मुख्यमंत्री हैं, उन्हें कानून का पालन करना चाहिए। लेकिन वह कानून का पालन नहीं करना चाहते हैं, मुसलमानों पर दबाव बनाना चाहते हैं। मथुरा में लगभग 50-60 साल पहले मुस्लिम समुदाय का हिंदुओं के साथ एक समझौता हुआ था और इसे अदालत में पेश किया गया था, लेकिन फिर भी इसमें मुकदमा शुरू किया गया। हैदराबाद के सांसद ने कहा कि यह भाजपा की सांप्रदायिक राजनीति का हिस्सा और न्यायिक अतिक्रमण है।

सर्वे में शिवलिंग मिलने का दावा
दरअसल, बीते वर्ष मई में अदालत के आदेश के बाद ज्ञानवापी परिसर में सर्वे कमीशन की कार्रवाई हुई थी। छह और सात मई को सर्वे की कार्रवाई हुई थी। इसके बाद 14 से 16 मई तक तीन एडवोकेट कमिश्नर की मौजूदगी में ज्ञानवापी परिसर का सर्वे हुआ था सर्वे के तीसरे और आखरी दिन ज्ञानवापी के वजूखाने में शिवलिंग मिलने का दावा किया गया था। इसे मुस्लिम पक्ष ने फव्वारा बताया। हिंदू पक्ष अदालत पहुंचा तो वजूखाने को सील कर दिया गया। यह मामला अभी कोर्ट में है।

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