चीन के विदेश मंत्रालय ने जोहान्सबर्ग में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और शीर्ष चीनी राजनयिक वांग यी के बीच एक बैठक के बाद दावा किया था कि शी और मोदी पिछले साल द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करने पर महत्वपूर्ण सहमति पर पहुंचे थे।
विदेश मंत्रालय (एमईए) ने गुरुवार को पिछले साल बाली में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान रात्रिभोज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि इस मौके पर दोनों नेता ने शिष्टाचार का आदान-प्रदान किया और द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर बनाए रखने की आवश्यकता पर बात की थी।
नवंबर में मिले थे दोनों नेता
हाल ही में चीन के विदेश मंत्रालय ने जोहान्सबर्ग में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और शीर्ष चीनी राजनयिक वांग यी के बीच एक बैठक के बाद दावा किया था कि शी और मोदी पिछले साल नवंबर में हुए जी20 शिखर सम्मेलन से इतर बातचीत में द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करने पर महत्वपूर्ण सहमति पर पहुंचे थे।
द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करने पर बात
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि पिछले साल बाली में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान इंडोनेशिया के राष्ट्रपति द्वारा आयोजित रात्रिभोज के समापन पर प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शिष्टाचार का आदान-प्रदान किया और द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करने की आवश्यकता के बारे में बात की। बता दें, मई 2020 में भारत-चीन सीमा गतिरोध शुरू होने के बाद सार्वजनिक रूप से यह उनका पहला आदान-प्रदान था।
एलएसी पर शांति लाना जरूरी
उन्होंने आगे कहा कि जैसा कि आप जानते हैं, हमने दृढ़तापूर्वक कहा है कि पूरे मुद्दे के समाधान की कुंजी भारत-चीन सीमा के पश्चिमी क्षेत्र पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति को हल करना है। साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाल करना है।
दरअसल, बाली में पीएम मोदी और शी के बीच संक्षिप्त बातचीत के बाद विदेश मंत्रालय ने कहा था कि उन्होंने शिष्टाचार का आदान-प्रदान किया। हाल ही में चीन के इस दावे के बारे में पूछा गया, जिसपर अब बागची ने टिप्पणी की है।
अजीत डोभाल ने वांग यी को दिखाया था आईना
कुछ दिनों पहले, दक्षिण अफ्रीका में अयोजित ब्रिक्स के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (एनएसए) की बैठक से इतर भारत के एनएसए अजीत डोभाल ने चीन के सर्वोच्च राजनयिक वांग यी को आईना दिखाते हुए कहा था भारत-चीन सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीनी आक्रामकता की वजह से चीन पर भारत का भरोसा खत्म हो चुका है। विदेश मंत्रालय ने बताया कि दोनों अधिकारियों ने आपसी रिश्तों को द्विपक्षीय, क्षेत्रीय व वैश्विक हित में सामान्य बनाने की जरूरत है।
डोभाल ने वांग यी से साफ कहा था कि सीमा पर चीन की हरकतों ने चीन के प्रति भारत के रणनीतिक विश्वास और रिश्ते के सार्वजनिक और राजनीतिक आधार को कमजोर कर दिया है। इसके साथ ही उन्होंने यी से कहा था द्विपक्षीय संबंधों में सुधार लाने के यह जरूरी है कि सीमा की स्थिति का पूर्ण निराकरण हो, ताकि वहां शांति और स्थिरता कायम की जा सके। वांग यी की 10 दिन के भीतर भारत के उच्चपदस्थ अधिकारियों के साथ दूसरी बैठक हैं। इससे पहले 15 जुलाई वांग यी ने जकार्ता में आसियान क्षेत्रीय मंच की बैठक से इतर विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ बातचीत की थी। वांग यी फिलहाल चीन के सबसे ताकतवर नेताओं में शुमार हैं। चीन पर वास्तविक शासन करने वाले निकाय पोलित ब्यूरो के साथ ही यी चीन के सर्वोच्च कूटनीतक प्राधिकरण, विदेश कार्य आयोग के सर्वोच्च अधिकारी हैं।