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जिला अस्पतालों में डॉक्टर भेजने को तैयार नहीं दिल्ली, बिहार सहित चार राज्य, पढ़िए पूरा मामला

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, पीजी डॉक्टरों को जिलास्वास्थ्यप्रणाली से अवगत कराने और ग्रामीण क्षेत्र के स्वास्थ्य का अनुभ दिलानेकेलिएजिला रेजिडेंट कार्यक्रम शुरू किया है। इसका सबसे बड़ा लाभ जिला अस्पताल में एक विशेषज्ञ डॉक्टर की सेवाएं लोगों को मिल रही है।

दिल्ली व बिहार सहित चार राज्यों ने केंद्र की उस योजना में दिलचस्पी नहीं ली है, जिसके तहत जिला अस्पतालों में पीजी डॉक्टरों को सेवा देना अनिवार्य है। 2020 में सबसे पहले जम्मू-कश्मीर और सिक्किम ने इसेे लागू किया, जिसके बाद 2022 तक 24 राज्यों ने पीजी डॉक्टरों की अस्पतालों में तैनाती की।केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, पीजी डॉक्टरों को जिला स्वास्थ्य प्रणाली से अवगत कराने और ग्रामीण क्षेत्र के स्वास्थ्य का अनुभव दिलाने के लिए जिला रेजिडेंट कार्यक्रम शुरू किया है। इसका सबसे बड़ा लाभ जिला अस्पताल में एक विशेषज्ञ डॉक्टर की सेवाएं लोगों को मिल रही है। इस योजना के तहत, प्रत्येक मेडिकल कॉलेज के सभी विभागों से 25 फीसदी पीजी छात्र जिला अस्पतालों में तैनात किए जाने हैं। अस्पताल परिसर या आसपास ही इन्हें सभी तरह की सुविधाएं देने की जिम्मेदारी नोडल अधिकारी की है। बिहार और दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के सचिव ने प्रतिक्रिया देने से साफ इन्कार कर दिया जबकि चंडीगढ़ स्वास्थ्य विभाग के अनुसार उनके यहां जिला अस्पतालों की संख्या कम है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल रेगुलेशन के तहत 16 सितंबर 2019 को जिला आवास कार्यक्रम लागू करने का निर्णय लिया, लेकिन कोरोना के चलते ज्यादातर राज्य लागू नहीं कर पाए। अब केंद्र ने फिर इस योजना पर जोर देना शुरू किया।

मणिपुर में हिंसा का बुरा असर
मंत्रालय के अनुसार, मणिपुर में लगातार जारी हिंसा का नुकसान स्वास्थ्य योजनाओं पर भी पड़ रहा है। हिंसा की वजह से कई योजनाओं को राज्य सरकार की टीमें ग्रामीण क्षेत्रों तक ले जाने में कामयाब नहीं हो पा रही हैं। आयुष्मान भारत से लेकर डिजिटल स्वास्थ्य योजना तक के लक्ष्य में मणिपुर सबसे पीछे है। हिंसा के चलते ही यहां के जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों के बीच यह योजना लागू नहीं हो रही है।

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