शाह ने अमूल का उदाहरण देते हुए कहा कि इसका 58 हजार करोड़ का व्यवसाय है। यह लाखों लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध कराने का माध्यम है। इतनी ताकत होने के बावजूद इस क्षेत्र की अनदेखी की गई। यह विधेयक हर तरह की मनमानी पर रोक लगाएगा।
केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने पूर्ववर्ती सरकारों पर सहकारिता क्षेत्र को तबाह करने का आरोप लगाते हुए दावा किया है कि बहुराज्य सहकारी सोसायटी संशोधन विधेयक के कारण यह क्षेत्र भारत को विकसित देश बनाने में अहम भूमिका निभाएगा। क्षेत्र में नए युग की शुरुआत करेगा। शाह ने कहा कि इस क्षेत्र को भ्रष्टाचार व भाई भतीजावाद से मुक्त कराना मोदी सरकार का लक्ष्य है।
शाह ने कहा कि देश में 8.5 लाख समितियां हैं। देशभर में इसके 29 करोड़ सदस्य हैं। इस विधेयक के जरिये हमारा प्रयास सहकारी समितियों को पारदर्शी बनाने और भ्रष्टाचारमुक्त करने के साथ ही इसे बहुआयामी बनाने की है। सहकारी क्षेत्रों के तबाह होने का कारण इसमें घुस आई राजनीति है। हम चाहते हैं, इसमें दखल बंद हो। इसके लिए विधेयक में समय पर चुनाव की व्यवस्था की गई है।
मनमानी पर रोक
शाह ने अमूल का उदाहरण देते हुए कहा कि इसका 58 हजार करोड़ का व्यवसाय है। यह लाखों लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध कराने का माध्यम है। इतनी ताकत होने के बावजूद इस क्षेत्र की अनदेखी की गई। यह विधेयक हर तरह की मनमानी पर रोक लगाएगा।
नहीं बनने देंगे राजनीति का केंद्र
शाह ने कहा कि विधेयक में दोषी पाए जाने पर तीन साल तक चुनाव लड़ने पर रोक और हर तीन महीने में अनिवार्य बैठक बुलाने, 500 करोड़ के टर्न ओवर वाली समितियों के लिए ऑडिटर रखने और भर्ती में अध्यक्ष या दूसरे पदाधिकारियों के रक्त संबंधी को मौका नहीं मिलने का प्रावधान है। शाह ने कहा, विधेयक में चुनाव प्राधिकरण स्थापित करने, भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए सूचना अधिकारी नियुक्त करने का प्रावधान है। सहकारी समितियों में महिलाओं, एससी-एसटी का अनिवार्य प्रतिनिधित्व की व्यवस्था करने का प्रावधान है।
छत्तीसगढ़: एसटी दर्जे पर विधेयक सर्वसम्मति से पारित
छत्तीसगढ़ के कई समुदायों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने का बिल राज्यसभा में पारित हो गया। केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (पांचवां संशोधन) विधेयक, 2022 को पेश किया। लोकसभा में यह शीतकालीन सत्र में ही पारित हो चुका है। इससे छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजातियों की सूची में 12 और जातियों को शामिल किया जाएगा। इस विधेयक के पास होने से धुनहार, धनुवार, किसान, सौर, सौंरा, गदवा और बिझिंया समुदायों को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल किया जा सकेगा।