वेस्टर्न यूनिवर्सिटी, कनाडा के एसोसिएट प्रोफेसर केली एंडरसन ने कहा कि खानपान ठीक न होना बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, साथ ही उनके नशीले पदार्थों के सेवन करने की संभावना काफी बढ़ जाती है। इसका उनके, शारीरिक, सामाजिक, शैक्षिक विकास पर नकारात्मक असर पड़ता है।
बच्चों और किशोरों को अगर सही खानपान न मिले तो इसका सीधा असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। एक ताजा शोध में पता चला है कि खाने की पर्याप्त उपलब्धता वाले घरों की तुलना में खाद्य असुरक्षा वाले घरों को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मामले में डॉक्टर के यहां चक्कर काटने की संभावना 55 फीसदी ज्यादा होती है
हाल ही में कैनेडियन मेडिकल एसोसिएशन जर्नल में प्रकाशित हुए शोध में 32,321 बच्चों और किशोरों पर कनाडाई सामुदायिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण के जनसंख्या स्वास्थ्य सर्वेक्षण डेटा पर आधारित है। शोधकर्ताओं ने घरों में खाने की उपलब्धता को पर्याप्त खाद्य-सुरक्षा, मामूली रूप से खाद्य-असुरक्षा, मध्यम खाद्य-असुरक्षा और गंभीर रूप से खाद्य-असुरक्षा वाली श्रेणियों में वर्गीकृत किया। इन कुल परिवारों में 5,216 (16.1 फीसदी) खाद्य-असुरक्षा की स्थिति झेल रहे थे, जिनमें 1,952 (6 फीसदी) मामूली खाद्य-असुरक्षित, 2,348 (7.3 फीसदी) मध्यम खाद्य-असुरक्षित और 916 (2.8 फीसदी) गंभीर खाद्य-असुरक्षित थे।
सामाजिक, शैक्षिक विकास पर भी असर
वेस्टर्न यूनिवर्सिटी, कनाडा के एसोसिएट प्रोफेसर केली एंडरसन ने कहा कि खानपान ठीक न होना बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, साथ ही उनके नशीले पदार्थों के सेवन करने की संभावना काफी बढ़ जाती है। इसका उनके, शारीरिक, सामाजिक, शैक्षिक विकास पर नकारात्मक असर पड़ता है।