डीएनए टेक्नोलॉजी बिल पहली बार 8 जुलाई 2019 को साइंस एंड टेक्नोलॉजी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा गया था।
सरकार ने सोमवार को लोकसभा से डीएनए टेक्नोलॉजी (उपयोग और अनुप्रयोग) रेगुलेशन बिल, 2019 को वापस ले लिया। दरअसल केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने जब लोकसभा में विधेयक को पेश किया तो मणिपुर घटना के विरोध में विपक्ष के सांसद नारेबाजी और हंगामा कर रहे थे। विपक्ष के हंगामे को देखते हुए सरकार ने विधेयक को वापस ले लिया।
क्या है डीएनए टेक्नोलॉजी बिल में
बता दें कि इस बिल में डीएनए तकनीक के उपयोग और अनुप्रयोग को कुछ श्रेणी के लोगों की पहचान जिनमें पीड़ित, संदिग्ध, विचाराधीन कैदी, लापता और अज्ञात मृतक शामिल हैं, उनके लिए इस तकनीक के इस्तेमाल को विनियमित करने की कोशिश की गई है। यह बिल पहली बार 8 जुलाई 2019 को साइंस एंड टेक्नोलॉजी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा गया था।
बता दें कि इस बिल में डीएनए तकनीक के उपयोग और अनुप्रयोग को कुछ श्रेणी के लोगों की पहचान जिनमें पीड़ित, संदिग्ध, विचाराधीन कैदी, लापता और अज्ञात मृतक शामिल हैं, उनके लिए इस तकनीक के इस्तेमाल को विनियमित करने की कोशिश की गई है। यह बिल पहली बार 8 जुलाई 2019 को साइंस एंड टेक्नोलॉजी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा गया था।
इस विधेयक के तहत एक डीएनए रेगुलेटरी बोर्ड बनाया जाएगा, जो डीएनए डाटा बैंक और डीएनए लेबोरेट्रीज पर नजर रखेगा। बायोटेक्नोलॉजी विभाग के सचिव इस बोर्ड के अध्यक्ष होंगे। इस बोर्ड में बायोलॉजिकल साइंस के विशेषज्ञ, एनआईए के डीजी और सीबीआई के निदेशक शामिल होंगे। ये बोर्ड सरकार को डीएनए लेबोरेट्री और डाटा बैंक स्थापित करने के काम में सलाह देगा। स्टैंडिंग कमेटी ने 3 फरवरी 2021 को लोकसभा में अपनी रिपोर्ट पेश की थी।