हीमोफीलिया सोसायटी प्रयागराज द्वारा हीमोफीलिया जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन एसआरएन हॉस्पिटल के हीमोफीलिया फिजियोथेरेपी सेंटर में किया गया। एसआरएन के नोडल अधिकारी जितेंद्र शुक्ला ने बताया की हीमोफीलिया एक गंभीर रक्तस्राव रोग है, जिसमें रक्त शर्करा (क्लॉटिंग फैक्टर) की कमी के कारण रक्त का सही ढंग से ठहरना बाधित होता है। यह एक आनुवंशिक रोग है, जिसमें रक्त शर्करा की उत्पत्ति या कामकाज में समस्या होती है। साधारणतः, रक्त के थक्के (क्लॉट्स) रक्त स्राव को रोकने में मदद करते हैं, जिससे शरीर को किसी चोट या चिर-चोट से बचाया जा सकता है। लेकिन हीमोफीलिया वाले व्यक्ति में यह क्लॉटिंग प्रक्रिया समय पर नहीं होती है या अपूर्ण होती है, जिससे वे ज्यादातर आम लोगों की तुलना में चोट खाने पर भी लम्बे समय तक रक्तस्राव का सामना करना पड़ता है।
हीमोफीलिया के तीन प्रमुख प्रकार होते हैं:
- हीमोफीलिया ए (फैक्टर वन की कमी)
- हीमोफीलिया बी (फैक्टर टू की कमी)
- हीमोफीलिया सी (फैक्टर थ्री की कमी)
हीमोफीलिया रोगियों को जीवनभर नियंत्रण के तहत रहने के लिए नियमित रूप से रक्त स्राव संयंत्रों का उपयोग करना पड़ता है और उन्हें रक्त के कामकाज में सुधार के लिए दवाइयों का सेवन करना पड़ता है नोडल अधिकारी बाल अनुभा श्रीवास्तव ने मरीजों को हीमोफीलिया में जीवन प्रबंधन के तरीके सिखाए और फिजियोथेरेपी के लिए मरीजों को प्रेरित किया। सोसायटी के उपाध्यक्ष विवेक सिंह और सचिव मोहित गुप्ता ने मरीजों को हीमोफीलिया रक्त स्राव के प्रकार और फैक्टर कैलकुलेशन के बारे में सिखाया।