इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज आठ जुलाई को नई दिल्ली से प्रयागराज की यात्रा पर थे। इस दौरान पेंट्री कार में उचित सर्विस नहीं मिलने और बार-बार कोशिश करने पर भी पेंट्री मैनेजर से बात नहीं होने पर उन्होंने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को इस बारे में रेलवे से स्पष्टीकरण मांगने के लिए कहा था।
देश के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जजों की प्रोटोकॉल सुविधाएं विशेषाधिकार नहीं हैं। इन सुविधाओं का उपयोग इस तरह न किया जाए कि इससे दूसरों को असुविधा हो या न्यायपालिका की आलोचना हो। इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज को रेल यात्रा के दौरान हुई असुविधा पर रेलवे से स्पष्टीकरण मांगे जाने पर आपत्ति जताते हुए सीजेआई ने देश के सभी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों को लिखे पत्र में यह बात कही।इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार (प्रोटोकॉल) की ओर से उत्तर मध्य रेलवे के जीएम को 14 जुलाई को लिखे गए पत्र का हवाला देते हुए सीजेआई ने कहा, इस घटना के कारण न्यायपालिका के भीतर और बाहर बेचैनी पैदा हुई है। हालांकि हाईकोर्ट को और अधिक शर्मिंदगी से बचाने के लिए सीजेआई ने अपने पत्र में संबंधित जज का नाम नहीं लिखा है। पत्र में सिर्फ इतना कहा गया है कि रेलवे कर्मियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करना हाईकोर्ट के जज के न्यायक्षेत्र से बाहर है। सीजेआई ने लिखा, हाईकोर्ट के अधिकारी को रेलवे कर्मियों से स्पष्टीकरण मांगने की जरूरत नहीं थी।सीजेआई ने पत्र में कहा है कि जजों को मिली प्रोटोकॉल सुविधा को विशेषाधिकार नहीं समझना चाहिए। न्यायिक प्राधिकारियों को अपने अधिकारों चाहे वह पीठ में हों या नहीं, विवेकशील तरीके से इस्तेमाल करना चाहिए। सीजेआई ने कहा, मैं यह सभी हाईकोर्ट के सभी मुख्य न्यायाधीशों को लिख रहा हूं कि मेरी इस चिंता को अपने सभी सहयोगियों से साझा करें। न्यायपालिका के भीतर आत्मचिंतन और परामर्श जरूरी है।