उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने अगस्त 2020 में प्रदेश की कमान संभाली और उसके बाद से ही आतंकियों के इको सिस्टम पर प्रहार शुरू कर दिया गया। जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत आतंकियों तथा अलगाववादियों से संबंध रखने वाले दागी सरकारी कर्मचारियों की शिनाख्त के साथ ही आतंकियों की संपत्तियों को कब्जे में लेना शुरू किया।
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को जड़ से समाप्त करने के लिए इसके पारिस्थितिकी तंत्र पर किए जा रहे हमले में अब तक 52 सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त किया जा चुका है। सरकार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सरकार के पास ऐसे अभी 32 लोगों की सूची है जिनके खिलाफ आतंकी संगठनों से सांठगांठ तथा अलगाववाद को बढ़ावा देने के मामले हैं। इनके खिलाफ पक्के सबूत इकट्ठे किए जा रहे हैं।
जैसे ही डोजियर तैयार हो जाएगा इनकी बर्खास्तगी का फरमान जारी हो जाएगा। अनुच्छेद 370 हटने के बाद सरकार ने आतंकियों के पारिस्थितिकीतंत्र पर प्रहार शुरू किया है, ताकि प्रदेश को आतंकवाद मुक्त किया जा सके। सरकार ने आतंकवाद को जड़ से समाप्त करने के लिए सिस्टम में घुसे पाकिस्तान परस्त, अलगाववाद परस्त तथा आतंकियों के मददगारों की शिनाख्त शुरू की है।
इसके तहत शिक्षा विभाग, राजस्व विभाग, पुलिस विभाग, शिक्षण संस्थानों तथा अन्य विभागों में कार्यरत ऐसे सरकारी कर्मचारियों की कुंडली खंगाली जा रही है जिनकी विश्वसनीयता संदेह के घेरे में रही है। फिलहाल ऐसे 32 सरकारी कर्मचारियों की जांच चल रही है।
सरकार ऐसे लोगों की कुंडली खंगाल रही है जो कश्मीर घाटी में हिंसा के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पाकिस्तान के इशारे पर आतंकी तथा अलगाववादी संगठनों का साथ देते रहे हैं। ऐसे लोगों की बर्खास्तगी के पहले पूरा डोजियर यानी उनकी करतूतों का कच्चा चिट्ठा पूरी सबूतों के साथ तैयार किया जाएगा।
उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने अगस्त 2020 में प्रदेश की कमान संभाली और उसके बाद से ही आतंकियों के इको सिस्टम पर प्रहार शुरू कर दिया गया। जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत आतंकियों तथा अलगाववादियों से संबंध रखने वाले दागी सरकारी कर्मचारियों की शिनाख्त के साथ ही आतंकियों की संपत्तियों को कब्जे में लेना शुरू किया।
उनके आवासों पर बुलडोजर चलाया गया। किश्तवाड़ में 36 आतंकियों के खिलाफ इंटरपोल नोटिस जारी किया गया जो पाकिस्तान से चिनाब वैली में नेटवर्क चला रहे हैं। इनके ठिकानों पर छापे मारे गए।
इन प्रमुख लोगों के खिलाफ हो चुकी है कार्रवाई
जून 2023: शोपियां के आशिया व नीलोफर की मौत मामले में आईएसआई व आतंकी संगठनों के इशारे पर रेप व हत्या की फर्जी पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार करने वाले डॉक्टर डॉ. निगहत शाहीन चिल्लू व डॉ. बिलाल अहमद दलाल।
अगस्त 2022: खूंखार आतंकी फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे की पत्नी व जेकेएएस अफसर अशबाह-उल-अरजामंद। जेकेएलएफ तथा अन्य आतंकी व अलगाववादी संगठनों से देश तथा देश के बाहर संबंध विकसित करने का आरोप।
अगस्त 2022: हिजबुल मुजाहिदीन के संस्थापक सैय्यद सलाहुद्दीन के बेटे सैय्यद अब्दुल मुईद। 2012 में जेकेईडीआई में मैनेजर आईटी के पद पर तैनाती। 2013-2019 के बीच जेकेईडीआई तथा आसपास के परिसरों में तीन आतंकी हमले। अक्तूबर 2016 में हुए हमले में हॉस्टल व मुख्य भवन को भारी नुकसान पहुंचने के साथ कई जवानों की गई थी जान।
मई 2022: कश्मीर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अल्ताफ हुसैन पंडित। तीन साल तक सक्रिय आतंकी रहा था। 1990 में हथियारों की ट्रेनिंग के लिए सीमा पार चला गया था। ट्रेनिंग लेकर उसी साल लौट आया। जमात ए इस्लामी का सक्रिय सदस्य होने के बाद भी 2004 में नौकरी दी गई।
अक्तूबर 2021: हुर्रियत नेता सैय्यद अली शाह गिलानी के नाती अनीस उल इस्लाम। शेर ए कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में रिसर्च अफसर के पद पर तैनात अनीस का पिता अल्ताफ अहमद शाह उर्फ फंटूश गिलानी का दामाद था। उसने जमात के छात्र इकाई जमात ए तुल्बा का संस्थापक सदस्य था।
जुलाई 2021: हिजबुल मुजाहिदीन के संस्थापक सैय्यद सलाहुदीन के दो बेटों शाहिद युसूफ व सैय्यद अहमद शकील। शकील स्किम्स में प्रयोगशाला तकनीशियन और शाहिद युसूफ कृषि विभाग में तैनात था।