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दोस्तों से बातें बुजुर्गों की सेहत के लिए फायदेमंद, सामाजिक रूप से अलग-थलग रहने वालों में गंभीर असर

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न्यूरोलॉजी जर्नल में छपे शोध पर निनोमिया का कहना है कि उनका अध्ययन यह साबित नहीं करता कि सामाजिक अलगाव बुजुर्गें में मस्तिष्क के संकुचन का कारण बनता है, बल्कि इन दोनों के बीच एक जुड़ाव देखा गया, जिसका मकसद बुजुर्गों में बढ़ती सामाजिक अलगाव की समस्या को उकेरना है।

परिवार के अलावा रिश्तेदार, दोस्तों से बातचीत करना व सामाजिक गतिविधियों में हिस्सा लेना बुजुर्गों की मानसिक सेहत के लिए फायदेमंद है। जापान के फुकुओका स्थित क्यूशू विवि में शोधकर्ता तोशिहारू निनोमिया ने कहा, उनके शोध में कम सामाजिक संपर्क रखने वाले बुजुर्गों के मस्तिष्क के अहम हिस्से संकुचित पाए गए हैं।न्यूरोलॉजी जर्नल में छपे शोध पर निनोमिया का कहना है कि उनका अध्ययन यह साबित नहीं करता कि सामाजिक अलगाव बुजुर्गें में मस्तिष्क के संकुचन का कारण बनता है, बल्कि इन दोनों के बीच एक जुड़ाव देखा गया, जिसका मकसद बुजुर्गों में बढ़ती सामाजिक अलगाव की समस्या को उकेरना है। शोध के नतीजे बताते हैं कि गहरे सामाजिक संबंध, नए लोगों से जान-पहचान व ब्रेन एट्रोफी तथा डिमेंशिया जैसे विकारों को विकसित होने से रोकने में फायदेमंद हो सकते हैं। शोध के दौरान 73 वर्ष की औसत आयु वाले 8,896 प्रतिभागियों पर अध्ययन किया गया। इनमें से किसी को भी डिमेंशिया नहीं था। सभी प्रतिभागियों के मस्तिष्क का एमआरआई स्कैन और स्वास्थ्य परीक्षण किया गया।

अकेलापन व अवसाद नुकसानदेह
शोधकर्ताओं ने पाया कि सामाजिक अलगाव और मस्तिष्क की मात्रा को प्रभावित करने में 15 से 29% भूमिका अवसाद की पाई गई।  सामाज से अलग-थलग रहने वालों के मस्तिष्क में अक्सर सामाजिक संपर्क में रहने वाले लोगों की तुलना में अधिक छोटे-छोटे क्षतिग्रस्त क्षेत्र सफेद घावनुमा होते हैं।

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