मानसून का समय गर्मियों से राहत दिलाने वाला होता है। ज्यादातर लोग बरसात के दिनों का भरपूर आनंद लेते हैं, पर कुछ लोगों के लिए ये सीजन उदासी-लो फील कराने वाला भी हो सकता है। क्या आप भी ऐसे ही लोगों में से हैं जो मानसून में अधिक सुस्ती और उदासी महसूस करते रहते हैं? इस स्थिति को मानसून ब्लूज के नाम से जाना जाता है। क्या यह कोई मानसिक स्वास्थ्य विकार है या फिर कुछ और, आइए इसे समझते हैं।वैसे तो मानसून ब्लूज को क्लीनिकल डिसऑर्डर के रूप में मान्यता नहीं दी गई है, यानी यह कोई प्रमाणित रोग नहीं है। लेकिन इसे सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर की समस्या के तौर पर देखा जा सकता है। मेडिकल रिपोर्ट्स से पता चलता है कि पहले से ही मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसे डिप्रेशन या स्ट्रेस के शिकार लोगों में यह बहुत ही सामान्य पैटर्न है, जो मौसम के साथ मूड में बदलाव का कारण बन सकता है।
मानसून के दिनों में क्यों होती है उदासी?
मानसून ब्लूज चूंकि कोई क्लीनिकल डिसऑर्डर नहीं है इसलिए इस समस्या के कारण क्या हैं, यह स्पष्ट नहीं हैं। कुछ सिद्धांत मानते है कि मानसून में चूंकि सूर्य के प्रकाश कम हो जाता है और सर्केडियन रिदम की समस्या के कारण ये दिक्कत ट्रिगर हो सकती है। बरसात में कई दिनों तक धूप नहीं दिखती इसके कारण भी आपकी उदासी बढ़ सकती है। असल में जब हमारी आंखें सूर्य के प्रकाश को देखती हैं, तो यह मस्तिष्क को संदेश भेजती है जो नींद, भूख, तापमान, मनोदशा और गतिविधि को नियंत्रित करता है। बरसात में यह प्रक्रिया धीमी हो जाती है, जिसके कारण आप अधिक उदासी का अनुभव कर सकते हैं।आपका सोने-जागने के चक्र या शरीर की आंतरिक घड़ी को सर्केडियन रिदम कहा जाता है। यह हमारी नींद, मनोदशा और भूख को नियंत्रित करने में सहायता करती है। इसमें होने वाली समस्याओं के कारण भी आप लो फील करते रह सकते हैं।
कैसे करें मानसून ब्लूज के लक्षणों की पहचान
मानसून ब्लूज के सबसे आम लक्षणों में अधिक उदास महसूस करना, थकान, सुस्ती, चिड़चिड़ापन, ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत और भूख कम लगने की समस्या शामिल है। जरूरी नहीं है कि सभी लोगों को मानसून ब्लूज की दिक्कत हो ही। इसकी समस्या पहले से ही स्ट्रेस-एंग्जाइटी या डिप्रेशन के शिकार लोगों में देखी जाती है, क्योंकि मानसून की कुछ परिस्थितियों उनकी समस्या को ट्रिगर कर सकती है।