पीठ ने कहा, हमारा मानना है कि निर्बाध जांच के माध्यम से भू-माफिया द्वारा किए गए संगठित अपराध को विफल करना जरूरी है। मामले के तथ्यों पर गौर करते हुए पीठ ने कहा, अपीलकर्ता उनकी अत्यधिक मूल्यवान संपत्ति को लूटने के लिए रची गई एक सुनियोजित साजिश का शिकार हो गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा, देश में संगठित अपराधियों से जुड़े लगातार हो रहे भूमि घोटालों ने न सिर्फ विकास परियोजनाओं को बाधित किया बल्कि जनता के विश्वास को खत्म किया। साथ ही इसने सामाजिक आर्थिक प्रगति में बाधा डाली।जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा, भारत में भूमि घोटाले लगातार एक मुद्दा रहा है, जिसमें भूमि अधिग्रहण, स्वामित्व और लेनदेन से संबंधित धोखाधड़ी और अवैध गतिविधियां शामिल हैं। पीठ ने अपने आदेश में कहा, घोटालेबाज अक्सर जमीन का फर्जी मालिकाना हक बनाते हैं, फर्जी बिक्री दस्तावेज बनाते हैं या गलत स्वामित्व या बोझ-मुक्त स्थिति दिखाने के लिए भूमि रिकॉर्ड में हेरफेर करते हैं। संगठित आपराधिक नेटवर्क अक्सर इन जटिल घोटालों की योजना बनाते हैं और उन्हें अंजाम देते हैं। ये लोग ‘कमजोर’ व्यक्तियों और समुदायों का शोषण करते हैं और उन्हें अपनी संपत्ति खाली करने के लिए मजबूर करने के लिए डराने-धमकाने का सहारा लेते हैं।
विशेष जांच दल गठित करने का आदेश
शीर्ष अदालत ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के 31 मई, 2022 के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें एक व्यक्ति को अग्रिम जमानत दी गई थी। उस व्यक्ति ने गुरुग्राम जिले में 50 करोड़ रुपये से अधिक की जमीन के लिए 6.6 करोड़ रुपये से अधिक की मामूली राशि पर कथित जाली और मनगढ़ंत सामान्य पावर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर बिक्री विलेख (सेल डीड) निष्पादित किया था। एनआरआई दंपती प्रतिभा मनचंदा और उनके पति की अपील पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने पुलिस आयुक्त, गुरुग्राम को दो महीने के भीतर जांच पूरी करने के लिए एक विशेष जांच दल गठित करने का आदेश देकर जांच का दायरा बढ़ा दिया है।