यह पहली बार नही है जब भारत ने इस मुद्दे पर ऐसा रुख अख्तियार किया हो। भारत हमेशा से कहता रहा है कि वह स्थायी मध्यस्थता न्यायालय में पाकिस्तान द्वारा शुरू की गई कार्यवाही में शामिल नहीं होगा। इसके पीछे भारत का तर्क है कि सिंधु जल संधि के ढांचे के तहत विवाद की जांच पहले से ही एक तटस्थ विशेषज्ञ द्वारा की जा रही है ऐसे में किसी भी मध्यस्थता न्यायालय में मुद्दे की सुनवाई की जरूरत नहीं है।
भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को लेकर चल रहे विवाद में स्थायी मध्यस्थता न्यायालय के फैसले को खारिज कर दिया है। भारत ने गुरुवार को साफ किया कि हेग स्थित न्यायाधिकरण के फैसले के बाद उसे किशनगंगा और रतले पनबिजली परियोजनाओं को लेकर स्थायी मध्यस्थता न्यायालय में चलाई जा रही अवैध कार्यवाही में भाग लेने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। संधि को लेकर पाकिस्तान ने उम्मीद जताई है कि भारत सिंधु जल संधि को अच्छे विश्वास से लागू करेगा।
सिंधु जल संधि पर भारत की दो टूक
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को एक प्रेस कांफ्रेंस करके पाकिस्तान को दो टूक जवाब दिया। अरिंदम बागची ने कहा कि संधि को दर-किनार करते हुए अवैध और समानांतर कार्यवाही को मान्यता देने या उसमें भाग लेने के लिए भारत को मजबूर नहीं किया जा सकता है।
भारत का लगातार रहा है ऐसा ही रुख
गौरतलब है कि यह पहली बार नही है जब भारत ने इस मुद्दे पर ऐसा रुख अख्तियार किया हो। भारत हमेशा से कहता रहा है कि वह स्थायी मध्यस्थता न्यायालय में पाकिस्तान द्वारा शुरू की गई कार्यवाही में शामिल नहीं होगा। इसके पीछे भारत का तर्क है कि सिंधु जल संधि के ढांचे के तहत विवाद की जांच पहले से ही एक तटस्थ विशेषज्ञ द्वारा की जा रही है ऐसे में किसी भी मध्यस्थता न्यायालय में मुद्दे की सुनवाई की जरूरत नहीं है। बता दें कि तटस्थ विशेषज्ञ की आखिरी बैठक 27 और 28 फरवरी को हेग में हुई थी। वहीं, अगली बैठक सितंबर में होने वाली है।