संघ प्रमुख ने पुणे में संत रामदास द्वारा लिखित और धुले स्थित श्री समर्थ वाग्देवता मंदिर द्वारा संपादित मूल वाल्मीकि रामायण के आठ खंडों के विमोचन के अवसर पर कहा, समाज को दिशा दिखाने के लिए आदर्श राजा का स्वरूप स्थापित करना आवश्यक है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया अब तक कई सवालों के जवाब ढूंढ़ने में नाकाम रही है और अब सोचती है कि भारत उनका समाधान कर सकता है। उन्होंने कहा कि देश में राष्ट्रीय जागृति का काम चल रहा है और इस समय भारत को बौद्धिक क्षत्रियों (योद्धाओं) की जरूरत है।
संघ प्रमुख पुणे में संत रामदास की लिखित मूल वाल्मीकि रामायण के आठ खंडों के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा, समर्थ रामदास का समय आक्रमणों से भरा था और छत्रपति शिवाजी महाराज ने इन आक्रमणों का जवाब दिया था। उन्होंने कहा, लड़ना धर्म की रक्षा का सिर्फ एक पहलू है। लेकिन धर्म की रक्षा का मतलब केवल लड़ना नहीं है। प्रतिकार करना, ज्ञानवर्द्धन करना, शोध करना और अभ्यास करना भी धर्म की रक्षा के तरीके हैं।
गुलामी की मानसिकता अब तक समाप्त नहीं हुई
उन्होंने कहा, अब समय बदल गया है, लेकिन हम अब भी उन्हीं हालात का सामना कर रहे हैं। हम अब गुलाम नहीं, स्वतंत्र हैं। लेकिन क्या हमारी गुलामी की मानसिकता समाप्त हुई? भागवत ने चीन और पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा, आज सीधा हमला नहीं है, लेकिन वे वहां मौजूद हैं। एक पश्चिमी सीमा पर और दूसरा उत्तरी सीमा पर मौजूद है। भागवत ने कहा, पिछले 2000 सालों में कई प्रयोग हुए, लेकिन दुनिया कई मसलों के जवाब नहीं मिलने से थक चुकी है। अत: दुनिया सोचती है कि भारत अब उन सवालों का हल दे सकता है।