महाराष्ट्र में पार्टी के टूटने के बाद शरद पवार इस बैठक के जरिए एनसीपी के नेताओं को एकजुट करने की कोशिश करेंगे।
सियासी संकट के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने आज दिल्ली में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। इस बैठक में देश के विभिन्न हिस्सों से पार्टी के नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है। महाराष्ट्र में पार्टी के टूटने के बाद शरद पवार इस बैठक के जरिए एनसीपी के नेताओं को एकजुट करने की कोशिश करेंगे।
बता दें, एनसीपी पर कब्जे के लिए पहले शक्ति परीक्षण में अजित पवार ने बढ़त हासिल की है। दो जुलाई को एनसीपी दोफाड़ होने के बाद बुधवार को दोनों गुटों ने अपनी ताकत दिखाने के लिए अलग-अलग बैठकें कीं। अजित गुट की बैठक में एनसीपी के कुल 53 में से 32 विधायक शामिल हुए। वहीं, शरद पवार गुट की बैठक में 16 विधायक, तीन विधान परिषद सदस्य और चार सांसद शामिल हुए। पार्टी और चुनाव चिह्न पर दावेदारी को लेकर दोनों गुट चुनाव आयोग पहुंचे हैं। अजित गुट ने अपने समर्थन में 40 से अधिक विधायकों व सांसदों के हलफनामे दिए हैं।
मंत्री छगन भुजबल ने कहा, विधान परिषद के कई सदस्यों ने भी पक्ष में हलफनामा दिया है। बांद्रा स्थित एमईटी इंस्टीट्यूट में हुई बैठक में बताया, कुछ विधायक शहर से बाहर होने की वजह से नहीं पहुंच पाए। वहीं, दक्षिण मुंबई के यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठान में हुई बैठक में शरद पवार ने अजित को खूब खरी-खोटी सुनाई। उधर, अजित ने परोक्ष रूप से धमकी देते हुए कहा, मैंने अब तक अपमान सहन किया है। अगर वह (शरद पवार) महाराष्ट्र का दौरा करेंगे, तो मैं भी करूंगा और माकूल जवाब दूंगा।
पहले शक्ति प्रदर्शन के बाद अजित गुट के लिए शरद पवार ने कहा था कि कार्यकर्ताओं ने कष्ट झेला है, उसके बाद उनके अच्छे दिन आए हैं। जिस विचारधारा का आपने विरोध किया, उनके साथ जाना योग्य नहीं है। हमारा चुनाव चिह्न न कहीं जाएगा, न हम उसे कहीं जाने देंगे। उनकी बैठक में आपने देखा होगा कि पीछे मेरी तस्वीर लगी थी। उन्हें पता है कि मेरे बिना उनका सिक्का न तो चलेगा, न खनकेगा। जो लोग और पार्टी कार्यकर्ता हमें सत्ता में लाए, वे हमारे साथ हैं। मैं सत्ता में जरूर नहीं हूं, लेकिन मैं अपने लोगों और राज्य की जनता के बीच हूं।
पवार- संकट बड़ा है, हमें आगे जाना है
एक दिन पहले शरद पवार ने अजित गुट पर निशाना साधते हुए कहा कि राजनीति में आज संवाद खत्म हो गया है। राजनीति में अगर कुछ गलत हो रहा है तो नेताओं को वह बात सुननी चाहिए। संवाद रखना होता है। संवाद न हो तो देश में अस्वस्थता आती है। कुछ अनुचित हो रहा है तो उसे दुरुस्त करना होता है। संकट बड़ा है, हमें बहुत आगे जाना है। प्रधानमंत्री ने कहा था कि राकांपा ने 70 हजार करोड़ का घोटाला किया। यह आरोप बेबुनियाद है। एक तरफ आप हमारी पार्टी के नेताओं पर आरोप लगाते हैं, फिर दो दिन पहले आपने हमारी ही पार्टी के नेताओं को महाराष्ट्र की सरकार में मंत्री क्यों बनाया?