अध्ययन के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में हर एक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि पर हिमालय और उत्तरी गोलार्ध के अन्य पहाड़ों में 15 फीसदी अधिक बारिश होने के आसार हैं।
ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के बढ़ते स्तर से पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है। दुनिया के 50 शीर्ष वैज्ञानिकों ने बढ़ते तापमान से जलवायु पर पड़ने वाले असर को लेकर चेतावनी दी है। अध्ययन के मुताबिक, 2013-2022 तक तापमान में हर दशक 0.2 डिग्री सेल्सियस से अधिक की दर से वृद्धि हुई। यह धरती के लिए खतरनाक संकेत हैं। इससे दुनियाभर की मौसम संबंधी चक्रीय प्रणाली बुरी तरह प्रभावित होगी, जो आगे चलकर मानवजाति, वनस्पति और जीवजंतुओं के लिए परेशानी का भारी सबब बन सकती है।अध्ययन के अनुसार, इसी अवधि में कार्बन डाइऑक्साइड का औसत वार्षिक उत्सर्जन 54 अरब टन यानी अन्य गैसों के मुकाबले अपने सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गया है। यह प्रति सेकंड लगभग 1,700 टन के बराबर है। लीड्स विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और प्रमुख अध्ययनकर्ता पियर्स फोस्टर ने कहा, भले ही अभी तक धरती का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस नहीं बढ़ा है, लेकिन वृद्धि इस तरह जारी रही तो यह सीमा भी पार हो जाएगी।
उठाए जा रहे कदम पर्याप्त नहीं…
सह-अध्ययनकर्ता और वैज्ञानिक मैसा रोजस कोराडी ने कहा कि दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए की जा रही कार्रवाई और पैमाना जलवायु संबंधी खतरों को बढ़ाने से रोकने के लिए पर्याप्त नहीं है। 2000 के बाद से महासागरों को छोड़कर धरती के सतहों के तापमान में भारी वृद्धि हुई है। सहसत्राब्दी के पहले दशक के तापमान 1.22 डिग्री सेल्सियस की तुलना में पिछले 10 वर्षों में जमीन का औसत वार्षिक अधिकतम तापमान 0.5 डिग्री से 1.72 डिग्री सेल्सियस तक अधिक गर्म हुआ है।