भारत ने दिसंबर, 2022 में इंडियन सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) की स्थापना की थी ताकि देश में सेमीकंडक्टर के विनिर्माण, पैकेजिंग और डिजाइन के परिवेशन को पूरा किया जा सके। आईएसएम के डिजाइनिंग के लिए काफी कम प्रोत्साहन है।
भारत को चीन प्लस वन रणनीति का लाभ उठाने और खुद को वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला के साथ एकीकृत करने का अवसर मिला है। एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सेमीकंडक्टर मिशन में भारत को नए सिरे से शुरुआत करने की जरूरत है। साथ ही, सरकार से सिलिकॉन वैली फर्मों के साथ सहयोग करने के लिए भारतीय स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने की भी सलाह दी गई है। एसबीआई की यह रिपोर्ट अमेरिकी चिप निर्माता माइक्रोन के भारत में एक नई चिप असेंबली और परीक्षण सुविधा के लिए 82.5 करोड़ डॉलर के निवेश की घोषणा के बाद आई है। रिपोर्ट के मुताबिक, सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में भारत की हिस्सेदारी फिलहाल बहुत कम है। सेमीकंडक्टर मिशन के लिए भारत को जमीनी स्तर से शुरुआत करनी होगी और लक्ष्यों को पाने के लिए बहुत सारे प्रयास भी करने होंगे।
डिजाइनिंग के लिए प्रोत्साहन बढ़ाने की जरूरत
भारत ने दिसंबर, 2022 में इंडियन सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) की स्थापना की थी ताकि देश में सेमीकंडक्टर के विनिर्माण, पैकेजिंग और डिजाइन के परिवेशन को पूरा किया जा सके। आईएसएम के डिजाइनिंग के लिए काफी कम प्रोत्साहन है। रिपोर्ट में कहा गया है कि टेक की संभावनाओं को पूरा करने के लिए स्टार्टअप को प्रोत्साहन देकर सिलिकॉन वैली कंपनियों के साथ करार किया जा सकता है।
शुल्क मुक्त आयात को मिले मंजूरी
रिपोर्ट में सलाह दी गई है कि भारत को सेमीकंडक्टर आपूर्ति चेन में जिस कच्ची सामग्री का इस्तेमाल होता है, उसके लिए शुल्क मुक्त आयात की मंजूरी देनी चाहिए। इससे भारत और यूरोपियन यूनियन के मुक्त व्यापार समझौते में चिप पर फोकस किया जा सकता है और क्वाड की भागीदारी का भी फायदा मिल सकेगा, जिसमें भारत के साथ ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका हैं।