अमेरिका ने एमईपीसी के 80वें सत्र में यह सुझाव दिया। उसने पहले के विचार-विमर्श में इसे नहीं उठाया था। यह स्थिति तब थी जबकि समूह के अधिकांश सदस्यों ने इस प्रस्ताव को तत्काल आवश्यक माना था। बाकी देश वायु प्रदूषण एवं ऊर्जा दक्षता पर अंतर-सत्र कार्य समूह में इसपर आगे विचार किए जाने के पक्ष में थे।
अमेरिका ने मरीन इन्वायरन्मेंट प्रोटेक्शन कमेटी (एमईपीसी) के सत्र में सोमवार को भारत के जैव ईंधन से संबंधित प्रस्ताव को स्वीकार होने से रोक दिया। इस प्रस्ताव पर रोक लगाने वाला अमेरिका इकलौता देश रहा। अमेरिका ने प्रस्ताव को अंतिम रूप देने के लिए वायु प्रदूषण और ऊर्जा दक्षता पर एक कार्यकारी समूह के पास भेजने से पहले इसपर आगे और चर्चा करने की मांग की है। प्रस्ताव को अंतिम रूप देने के लिए वायु प्रदूषण और ऊर्जा दक्षता के बारे में भी चर्चा की।सूत्रों के अनुसार, अमेरिका ने एमईपीसी के 80वें सत्र में यह सुझाव दिया। उसने पहले के विचार-विमर्श में इसे नहीं उठाया था। यह स्थिति तब थी जबकि समूह के अधिकांश सदस्यों ने इस प्रस्ताव को तत्काल आवश्यक माना था। बाकी देश वायु प्रदूषण एवं ऊर्जा दक्षता पर अंतर-सत्र कार्य समूह में इसपर आगे विचार किए जाने के पक्ष में थे।
अमोनिया और हाइड्रोजन डाल सकते हैं नकारात्मक प्रभाव
सूत्रों ने कहा कि अमेरिका के विरोध के पीछे यह कारण हो सकता है कि जैस ईंधन को बढ़ावा देने से अमोनिया और हाइड्रोजन जैसे अन्य हरित ईंधनों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है जबकि अमेरिका इन दोनों हरित ईंधनों में ज्यादा पैसा लगा रहा है। हालाकि इस ईंधन पर अमेरिका पैसा लगा रहा है। भारत के मसौदा एमईपीसी संकल्प ने एक जैव ईंधन को आगे बढ़ाया है जो जीवन चक्र मूल्यांकन दिशानिर्देशों में स्थिरता पहलुओं की पुष्टि करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रमाणन योजना द्वारा प्रमाणित है, जिसे शून्य के रूप में सीओ 2 उत्सर्जन रूपांतरण कारक सौंपा गया है।