वैज्ञानिकों का कहना है कि इस सफलता के बावजूद ओजोन परत में लंबे समय से आ रहे बदलावों पर नजर रखना और उन्हें समझना जरूरी है, इसी को ध्यान में रखते हुए डब्ल्यूएमओ ने अपना पहला ओजोन और यूवी बुलेटिन जारी किया है।
पर्यावरण को लेकर एक राहत की खबर है। ओजोन परत में धीरे-धीरे ही सही लेकिन लगातार सुधार हो रहा है। वैज्ञानिकों ने इसके लिए मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल की भूमिका को अहम माना है। इस बारे में डब्ल्यूएमओ द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल और उसमें समय-समय पर किए गए संशोधनों की मदद से ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों के उपयोग को 99 फीसदी तक सीमित किया जा सका है।
पृथ्वीवासियों को उसके हानिकारक विकिरण से बचाती है ओजोन
यह जानकारी विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) द्वारा जारी बुलेटिन में दी गई है। पृथ्वी के लिए ओजोन परत बहुत मायने रखती है। इसे पृथ्वी के सुरक्षा कवच के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि यह परत सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को रोक कर पृथ्वीवासियों को उसके हानिकारक विकिरण से बचाती है। मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल, ओजोन परत को क्षीण करने वाले पदार्थों को रोकने के बारे में की गई एक अंतरराष्ट्रीय संधि है। यह ओजोन परत को संरक्षित करने के लिए चरणबद्ध तरीके से उन पदार्थों का उत्सर्जन रोकने के लिए बनाई गई है, जिन्हें ओजोन परत को क्षीण करने के लिए उत्तरदायी माना जाता है।वैज्ञानिकों का कहना है कि इस सफलता के बावजूद ओजोन परत में लंबे समय से आ रहे बदलावों पर नजर रखना और उन्हें समझना जरूरी है, इसी को ध्यान में रखते हुए डब्ल्यूएमओ ने अपना पहला ओजोन और यूवी बुलेटिन जारी किया है। बुलेटिन के अनुसार स्ट्रैटोस्फेरिक (समतापमंडल) ओजोन में धीरे-धीरे सुधार आ रहा है।