समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर विधि आयोग को पूरे देश से बड़ी संख्या में प्रतिक्रियाएं मिली हैं। आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ऋतुराज अवस्थी ने बताया कि नोटिस जारी किए जाने के बाद अब तक आयोग के पास करीब साढ़े आठ लाख प्रतिक्रियाएं आई हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समान नागरिक संहिता का मुद्दा उठाने के एक दिन बाद जनता दल यूनाइटेड (जदयू) व आम आदमी पार्टी (आप) ने इसे सशर्त सैद्धांतिक समर्थन देने की घोषणा की। दोनों पार्टियों ने इसके लिए आम सहमति बनाने की शर्त लगाई है। वहीं, मुस्लिम उलमाओं के संगठन जमीयत-उलमा-ए-हिंद ने इस मामले में राजनीति की जगह चर्चा की बात पर बल दिया है। ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने संहिता का कड़ा विरोध करने की घोषणा की है। बोर्ड ने आपात बैठक में विधि आयोग के सामने अपनी बात रखने का फैसला किया।
समान नागरिक संहिता पर सबसे पहले जदयू ने चुप्पी तोड़ी। पार्टी महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि जदयू व सीएम नीतीश कुमार समान नागरिक संहिता का विरोध नहीं कर रहे हैं। हम चाहते हैं, सबको साथ लेकर व्यापक विमर्श के बाद इस पर आगे बढ़ा जाए। मुश्किल यह है कि भाजपा लोकसभा चुनाव के लिए इसे मुद्दा बना रही है। वहीं, आप के वरिष्ठ नेता संदीप पाठक ने कहा, आप सैद्धांतिक रूप से संहिता के पक्ष में है। संविधान का अनुच्छेद 44 भी संहिता का समर्थन करता है। हालांकि संहिता पर सभी धर्म और संप्रदायों के साथ बातचीत कर आम सहमति बनाई जाए।
8.5 लाख सुझाव मिले
समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर विधि आयोग को पूरे देश से बड़ी संख्या में प्रतिक्रियाएं मिली हैं। आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ऋतुराज अवस्थी ने बताया कि नोटिस जारी किए जाने के बाद अब तक आयोग के पास करीब साढ़े आठ लाख प्रतिक्रियाएं आई हैं। 14 जून को विधि आयोग ने जनता और धार्मिक संगठनों से इस मामले में विचार पूछे थे। आयोग ने लोगों को अपनी राय देने के लिए 30 दिन का समय दिया है। 22वां विधि आयोग, कानून व न्याय मंत्रालय की ओर से भेजे गए संदर्भ पत्र के आधार पर समान नागरिक संहिता पर विचार कर रहा है।
नियाजी का दिन में समर्थन रात में बोले-विधि आयोग को प्रभावित कर रहे पीएम
जमीअत-उलमा-ए-हिंद के सचिव नियाज अहमद फारुकी ने यूसीसी पर उलटबांसी दिखाई। दिन में एक टीवी चैनल से उन्होंने कहा, यूसीसी लाने का यही सही समय है। दुनिया के 80 देशों में यह लागू है, इसके बावजूद वहां धार्मिक स्वतंत्रता है। उन्होंने कहा कि जमीयत ने तीन तलाक खत्म करने का भी समर्थन किया था। हालांकि फारुकी रात में पलट गए और पीएम पर विधि आयोग को प्रभावित करने व लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया। फारुकी ने कहा, आयोग अभी लोगों से राय ले रहा है। इस दौरान पीएम की ओर से ऐसा बयान उनके पद और जिम्मेदारी के खिलाफ है। यूसीसी सभी धर्मों के लिए है, लेकिन पीएम ने सिर्फ मुसलमानों का उल्लेख किया।
अकाली दल भी विरोध में
शिरोमणि अकाली दल ने संहिता लागू करने की तैयारियों पर एतराज जताते हुए कहा, इससे अल्पसंख्यक व आदिवासी समुदायों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। पार्टी नेता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने संहिता को समर्थन देने के लिए आप की निंदा की। पीएम मोदी के समान नागरिक संहिता का मुद्दा उठाने के कुछ घंटे बाद ही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस मसले पर आपात बैठक की। बोर्ड के सदस्य खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा, बोर्ड ने विधि आयोग के समक्ष दस्तावेज के साथ आपत्तियां दर्ज कराने का फैसला किया है। महली ने मंगलवार देर रात वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आपात बैठक बुलाने की जानकारी दी। हालांकि उन्होंने इसका प्रधानमंत्री के बयान से कोई रिश्ता होने से इनकार किया। उन्होंने कहा, चूंकि विधि आयोग ने धार्मिक संगठनों से 14 जुलाई तक संहिता के खिलाफ आपत्तियां मांगी हैं। ऐसे में बोर्ड ने आपत्तियों के मसौदे पर चर्चा करने के लिए बैठक बुलाई थी।
संविधान देता है अनुमति, जल्द हो निर्णय : विहिप
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने यूसीसी पर पीएम मोदी के बयान का स्वागत किया है। परिषद ने कहा, जब देश में अपराध, अनुबंध, वाणिज्य, बैंकिंग कानून सभी के लिए एक समान हैं, तो परिवार कानून को अपवाद क्यों होना चाहिए। कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा, संविधान का अनुच्छेद 44 सरकार को यूसीसी बनाने की अनुमति देता है और जल्द ऐसा किया जाना चाहिए।
सड़कों पर न उतरें मुस्लिम
जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि हमें पता है विधि आयोग क्या फैसला लेगा। कितने भी हजार प्रतिनिधि भेजें या अनुरोध करें, वह सरकार के पक्ष पर ही चलेगा। जब पीएम खुद इसके पक्ष में हैं, तो विधि आयोग से हमारी बात मानने की उम्मीद करना कुछ ज्यादा ही है। उन्होंने मुस्लिमों से अपना पक्ष शांति से रखने और सड़कों पर न उतरने की भी अपील की।