हाल में बंगाल के कूचबिहार में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि बीएसएफ भगवा खेमे के इशारे पर सीमावर्ती इलाकों में मतदाताओं को डरा-धमका रही है। उन्होंने रैली से ही पुलिस को निर्देश दिए थे कि आप सुरक्षा बलों पर कड़ी नजर रखें।
सीमा सुरक्षा बल ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया। बीएसएफ ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा लगाए आरोपों को निराधार बताया है। बता दें, बनर्जी ने आरोप लगाते हुए कहा था कि बीएसएफ सीमावर्ती क्षेत्रों में मतदाताओं को धमका रही है।
पढ़िए, आरोप-पलटवार
हाल में बंगाल के कूचबिहार के चांदमारी हाईस्कूल मैदान में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि बीएसएफ भगवा खेमे के इशारे पर सीमावर्ती इलाकों में मतदाताओं को डरा-धमका रही है। उन्होंने रैली से ही पुलिस को निर्देश दिए थे कि आप सुरक्षा बलों पर कड़ी नजर रखें। ममता बनर्जी के बयान पर आपत्ति जताते हुए सोमवार को बीएसएफ गुवाहाटी फ्रंटियर ने कहा कि कूच बिहार में रैली के दौरान मुख्यमंत्री द्वारा लगाए गए आरोप पूरी तरह से निराधार हैं। उनका बयान सच्चाई से बहुत दूर है। बीएसएफ ने आगे कहा कि बीएसएफ सीमा क्षेत्र में रहने वाले लोगों में सुरक्षा की भावना को बढ़ावा देने और सीमा पार अपराधों को रोकने एवं भारतीय क्षेत्र में अनधिकृत प्रवेश या निकास को रोकने के लिए कटिबद्ध है। सीमा पर तस्करी और किसी भी अन्य गैर कानूनी गतिविधियों को रोकने की जिम्मेदारी भी बीएसएफ की है।
सीमा क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति को डराने-धमकाने की कोई भी शिकायत अब तक बीएसएफ या अन्य सहयोगी एजेंसी को नहीं मिली है। बीएसएफ को सीमा पर और अन्य आंतरिक क्षेत्रों में जहां कहीं भी आदेशित किया जाता है, शांतिपूर्ण और निर्बाध चुनावी प्रक्रिया के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। बीएसएफ की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि बंगाल की मुख्यमंत्री द्वारा लगाए गए ऐसे किसी भी आरोप का जोरदार खंडन करती है।
एक बार फिर हुई गोलीबारी
पंचायत चुनाव को लेकर बंगाल हिंसा लगातार जारी है। सोमवार शाम को मुर्शिदाबाद के डोमकल में दो समूहों के बीच झड़प हो गई, जिसके बाद गोलीबारी हो गई। पुलिस के अनुसार, गोलीबारी में चार लोग घायल हुए हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया है। मामले की जांच की जा रही है। हालांकि अबतक किसी को गिरफ्तार नहीं किया जा सका है।
पिछले पंचायत चुनावों में भी खूब हुई हिंसा
पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान हिंसा का इतिहास रहा है। 2013 और 2018 के पंचायत चुनाव भी अपवाद नहीं थे। 2013 में जहां पंचायत चुनाव में हिंसा के चलते 39 लोगों की मौत हुई थी, वहीं 2018 में 21 लोग मारे गए थे। पिछले पंचायत चुनाव में 34 प्रतिशत सीटों पर टीएमसी निर्विरोध जीती थी, साथ ही 90 प्रतिशत सीटों पर टीएमसी समर्थित उम्मीदवारों ने ही जीत दर्ज की थी।