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नीतीश के बाद अब मायावती को समयपूर्व चुनाव की आशंका! इसीलिए अपने सबसे बड़े सियासी अभियान तक का बदला समय

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बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने बुधवार को हुई अपने बड़े नेताओं की बैठक में खुलकर कहा कि आने वाले दिनों में लोकसभा चुनाव की तैयारियों के लिए हमें ज्यादा मजबूत और अलर्ट रहना होगा।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बाद अब उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने भी यही आशंका जताई है कि लोकसभा के चुनाव तय वक्त से पहले हो सकते हैं। मायावती ने इस बात का जिक्र अपने पार्टी के प्रमुख नेताओं के साथ हुई एक बड़ी बैठक में खुलकर किया। यही नहीं बसपा ने जल्द होने वाले चुनावों की आशंकाओं के चलते अपने सबसे बड़े सियासी अभियान का समय तक बदल दिया। और तो और पार्टी ने अगस्त के आखिरी सप्ताह तक बनाई जाने वाली बूथ कमेटियों की अंतिम तारीख भी जुलाई कर दी है। बीते कुछ समय से सियासी गलियारों में चर्चा इसी बात की हो रही है कि लोकसभा के चुनाव तय वक्त से पहले हो जाएंगे। इसी के मद्देनजर ज्यादातर विपक्षी पार्टियों ने अपनी सियासी धार और तेज करनी शुरू कर दी है।

वक्त से पहले होने वाले चुनाव को लेकर अलर्ट रहने को कहा…

बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने बुधवार को हुई अपने बड़े नेताओं की बैठक में खुलकर कहा कि आने वाले दिनों में लोकसभा चुनाव की तैयारियों के लिए हमें ज्यादा मजबूत और अलर्ट रहना होगा। बैठक में शामिल पार्टी के एक नेता ने बताया कि मायावती ने इस बैठक के दौरान स्पष्ट रूप से कहा कि उनको मिल रही जानकारी के मुताबिक लोकसभा के चुनाव वक्त से पहले हो सकते हैं। इसलिए पार्टी की ओर से की जा रही तैयारियों को न सिर्फ तय समय पर मुकम्मल रूप से अमलीजामा पहनाया जाना चाहिए। बल्कि कई अन्य जरूरी बैठकों को भी तय समय से पहले ही कर लिया जाना रणनीतिक रूप से बेहतर है। पार्टी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक मायावती ने इस दौरान अपनी रणनीतियों में बड़े फेरबदल की योजना बनाई है।

बदल दी गई बूथ कमेटियों को बनाए जाने की ‘टाइमिंग’…

पार्टी से जुड़े नेताओं का कहना है कि बहुजन समाज पार्टी ने अपनी कई अहम रणनीतियों को दो हफ्ते पहले हुई बैठक में तय किया था। इसमें पहली रणनीति बूथ कमटियों के गठन को लेकर थी। तकरीबन दो सप्ताह पहले हुई मायावती के सात प्रमुख पदाधिकारियों की बैठक में तय हुआ था कि 30 अगस्त तक सभी बूथ कमेटियों का गठन कर लिया जाए। बूथ कमेटियों की पूरी रिपोर्ट को जिला अध्यक्ष और संबंधित जिम्मेदार पदाधिकारियों के माध्यम से पार्टी आलाकमान को भेजी जानी थी। लेकिन बुधवार को हुई बैठक में मायावती ने बूथ कमेटियों के गठन की तय तारीख 30 अगस्त की बजाय 30 जुलाई कर दी। बैठक में शामिल सूत्रों के मुताबिक इस दौरान मायावती ने कहा कि वह बूथ कमेटियों के गठन को अगस्त तक नहीं ले जा सकते। क्योंकि लोकसभा के चुनाव अपने तय वक्त से पहले भी हो सकते हैं।

पार्टी के कैडर कैंप्स की शुरुआत की तारीखें भी बदल दी…

मायावती ने सिर्फ बूथ गठन की तारीख में ही परिवर्तन नहीं किया है। बल्कि कार्यकर्ताओं से मिलने के लिए शुरू किए जाने वाले कैडर कैंप की तारीखों में भी परिवर्तन कर दिया है। योजना के मुताबिक पार्टी के कैडर कैंप एक सितंबर से शुरू किए जाने थे। लेकिन लोकसभा चुनावों के जल्दी होने की आहट वाली सूचना पर मायावती ने अपने कैडर कैंप को शुरू करने की तारीख एक सितंबर की बजाय एक अगस्त कर दी है। पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि मायावती की ओर से बूथ कमेटियों के गठन के साथ साथ कैडर कैंप के शुरुआत की तारीखों के बदलने की पूरी जानकारी जिम्मेदार नेताओं तक भेजी जा चुकी है। पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता बताते हैं कि मायावती ने बुधवार को ही बैठक में स्पष्ट उल्लेख करते हुए कहा कि लोकसभा के चुनाव वक्त से पहले होने हैं इसलिए पार्टी को रणनीति भी उसी हिसाब से बनानी होगी।

नीतीश कुमार ने भी  कहा था वक्त से पहले हो सकते हैं चुनाव…

मायावती की आशंका से पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 15 जून को एक कार्यक्रम के दौरान समय से पहले लोकसभा के चुनाव कराए जाने की संभावना जताई थी। मुख्यमंत्री ने बिहार के ग्रामीण कार्य विभाग की कई परियोजनाओं के शुभारंभ के वक्त कहा था कि उनको बताया गया है कि लंबित कार्य जनवरी 2024 से पहले पूरे करा लिए जाएंगे। अटकलें ऐसी लगाई जा रही हैं कि लोकसभा के चुनाव वक्त से पहले कराए जा सकते हैं। यही वजह है कि केंद्र सरकार अपने लंबित कार्यों को जनवरी तक पूरा कराए जाने की तैयारियां कर रही है।

राम मंदिर में दर्शन से पहले चुनाव संभव नहीं लग रहे…

हालांकि समय से पहले होने वाले चुनावों को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का अपना अलग ही कहना है। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषण जीडी शुक्ला कहते हैं कि ऐसा लग नहीं रहा है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार तय वक्त से पहले लोकसभा के चुनाव कराएगी। इसके पीछे उनका अपना तर्क है। वह कहते हैं कि जिन मुद्दों के आधार पर भारतीय जनता पार्टी चुनाव लड़ती आई है वह जब पूरा हो रहा है तो सरकार उससे पहले चुनाव कैसे करा सकती है। उनका इशारा अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की ओर है। शुक्ला कहते हैं कि निश्चित तौर पर राम मंदिर के निर्माण को लेकर भारतीय जनता पार्टी हर चुनावों में इसको ही अपना मुख्य मुद्दा बनाती थी। अब जब जनवरी 2024 में राम मंदिर बनकर तैयार हो चुका होगा और वहां जनवरी में सूर्य उत्तरायण होते ही दर्शन शुरू हो जाएंगे, तो उससे पहले सियासी तौर पर चुनाव कराने की अटकलों में दम नजर नहीं आ रहा है। ………

चार राज्यों के चुनावों के परिणाम को लेकर चिंता है भाजपा को…

वहीं कुछ लोगों का तर्क यह भी है कि समय से पहले चुनाव हो सकते हैं। बहुजन समाज पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि जिस तरीके से बीते कुछ बड़े राज्यों के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को शिकस्त का सामना करना पड़ा है उससे इसकी संभावनाएं बढ़ गई है। वह इसको और तर्क के साथ समझाते हैं कि आने वाले कुछ महीनों में देश के चार प्रमुख राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। चारों राज्यों की सियासी गणित को समझाते हुए बहुजन समाज पार्टी के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि अगर इसमें भारतीय जनता पार्टी को सियासी तौर पर कोई नुकसान होता है तो उसका खामियाजा लोकसभा के चुनावों में उठाना पड़ सकता है। उनका तर्क है कि इसी वजह से जनता में जाने वाले नकारात्मक संदेश को रोकने के लिए पहले चुनाव कराए जाने का अनुमान लगाया जा रहा है। हालांकि भारतीय जनता पार्टी के नेता इसको विपक्षी पार्टियों की ओर से महज सियासी साजिश ही करार दे रहे हैं।

 

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