बैठक को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल और राहुल गांधी ने पूरी तैयारी कर ली है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, एनसीपी के शरद पवार, तमिलनाडु के एमके स्टालिन भी इसे लेकर काफी उत्साहित हैं।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी. चिदंबरम को उम्मीद है कि 23 जून को पटना में विपक्षी दल के नेताओं की बैठक का नतीजा निकलेगा। कांग्रेस पार्टी के एक बड़े नेता हैं। वह कहते हैं कि भाजपा और सत्तारूढ़ दल जितना चाहें फूट का दुष्प्रचार कर लें। लेकिन 2024 से पहले की विपक्षी एकजुटता बड़ी चुनौती पेश करेगी। समझा जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल और राहुल गांधी ने पूरी तैयारी कर ली है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, एनसीपी के शरद पवार, तमिलनाडु के एमके स्टालिन भी इसे लेकर काफी उत्साहित हैं। जद(यू) और राजद के नेताओं को भरोसा है कि करीब 450 सीटों पर विपक्ष का साझा उम्मीदवार उतरेगा।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी. चिदंबरम इस तरह की भविष्यवाणी पिछले महीने ही कर चुके हैं। राहुल गांधी ने अमेरिका की यात्रा में भी विपक्षी एकजुटता और तैयारी का संकेत दिया था। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसके लिए अहम पहल की और देश भर के विपक्षी नेताओं से मिलकर बैठक में आने की अपील की थी। सूत्र बताते हैं कि इसमें राजद के प्रमुख लालू प्रसाद यादव भी बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।
उन्होंने बुधवार 21 जून को इस संदर्भ में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास पर जाकर पूरी रूपरेखा पर चर्चा भी की है। बृहस्पतिवार को लालू के असर की एक बानगी भी दिखी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पटना पहुंच गई हैं। उन्होंने हवाई अड्डे से सीधे लालू प्रसाद के आवास पर जाना उचित समझा। राजनीति में वरिष्ठ लालू प्रसाद के पैर छुए। पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को उपहार में साड़ी भेंट की। वरिष्ठ पत्रकार संजय वर्मा कहते हैं कि इन संकेतों से समझा जा सकता है कि नीतीश कुमार के साथ ही लालू यादव की क्या भूमिका है।
कांग्रेस के युवा नेता संजीव सिंह कहते हैं कि हमारी तैयारी पूरी है। शुक्रवार सुबह कांग्रेस कांग्रेस अध्यक्ष, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और केसी वेणुगोपाल दिल्ली से पटना जाएंगे। पहले सदाकत आश्रम जाएंगे और करीब साढ़े 11 बजे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास पर पहुंचेगे। विपक्षी दलों के नेताओं के साथ बैठक में कांग्रेस एकता के सूत्र भी रखेगी और आने वाले वक्त में इस अभियान को कैसे व्यापक बनाया जाए और सबका साथ कैसे मजबूती के साथ बना रहे, इसकी रणनीति बनेगी। अभी यह शुरुआत है और आने वाले दिनों में ऐसी बैठकों का सिलसिला जारी रहेगा, 2024 की रणनीति बनेगी।
इधर-उधर की बातों में न जाइए, हम एकजुट हो रहे हैं
कांग्रेस के नेता रोहन गुप्ता कहते हैं कि इधर उधर की बातों में न जाइए। फिलहाल हम एकजुट हो रहे हैं। हमारे नेता वहां जाएंगे। शरद पवार की वरिष्ठता से भला किसे इनकार है। मामला पवार का ही नहीं है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का भी है। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के रूप में अगला पीएम का पोस्टर चस्पा है। इसकी चर्चा भी खूब है। लेकिन कांग्रेस के नेता इस पर कान नहीं दे रहे हैं।
तेलंगाना में मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव और उनकी राजनीति को लेकर भी कांग्रेस के पास अपने कुछ तर्क हैं। इसी तरह से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लेकर भी कांग्रेस के साथ समीकरणों में कुछ दिक्कत का हवाला दिया जा रहा है। हालांकि कांग्रेस के नेता ममता बनर्जी के साथ समीकरण सधने को चुनौती नहीं मानते। लेकिन भारत राष्ट्र समिति के नेता और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव और आम आदमी पार्टी के संयोजक तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लेकर अभी काफी सावधानी बरत रहे हैं।
पवार और नीतीश कुमार की बड़ी भूमिका जरूरी है
विपक्ष के नेताओं से चर्चा में दो बात सामने आ रही है। पहला तो यह कि विपक्ष के नेताओं की चर्चा में किसी को 2024 के लोकसभा चुनाव के बाबत प्रधानमंत्री का चेहरा बनाने पर कोई चर्चा नहीं होनी है। सूत्रों का कहना है कि अभी सबसे बड़ा लक्ष्य भाजपा को 2024 के चुनाव में सत्ता से दूर करना है। दूसरी बात विपक्षी दलों में एकजुटता की सहमति पर है। कांग्रेस के नेता इसके लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम जैसे उपायों पर जोर दे रहे हैं। अन्य दलों के पास भी इसी तरह के सुझाव हैं।
माना जा रहा है कि इन सभी विषय पर क्रमवार चर्चा संभव है। 23 जून की बैठक में मोटे तौर पर एकजुटता की बैठक को थोड़े-थोड़े अंतराल पर, अलग-अलग स्थान पर जारी रखने, इसके स्वरूप, संयोजक आदि को लेकर सहमति बन सकती है। माना जा रहा है कि इसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और एनसीपी के नेता शरद पवार की भूमिका महत्वपूर्ण रहने वाली है। ऐसा पहली बार है, जब कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे दलित समुदाय से हैं। खरगे विपक्षी एकता की मुहिम को मजबूती देने के पक्ष में हैं। वरिष्ठ पत्रकार संजय वर्मा कहते हैं कि बिना कांग्रेस के विपक्षी एकता का कोई अर्थ नहीं है। कांग्रेस इसमें वटवृक्ष सरीखी है। इसे जद (यू) और राजद दोनों समझते हैं।
उ.प्र. में क्या होगा?
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय लाठर कहते हैं कि 23 जून को अखिलेश यादव पटना जा रहे हैं। अखिलेश यादव का मकसद भी एकजुटता की रूपरेखा को जानना, समझना है। लाठर कहते हैं कि एकजुटता तो होगी। कांग्रेस पार्टी को लेकर देश में सकारात्मक माहौल बन रहा है। लेकिन कांग्रेस उ.प्र. में बहुत कमजोर है। इसलिए कांग्रेस को हर राज्य में जो दल मजबूत है, उसे आगे करने पर सहमत होना चाहिए। कांग्रेस पार्टी को बड़ा दिल दिखाना चाहिए। हालांकि लाठर कहते हैं कि यह सब केवल 23 जून की ही बैठक में तय नहीं हो जाएगा। इसके लिए राजनीतिक दलों को अभी कई बार बैठना पड़ेगा।