हाथरस में कई बार प्रशासन की ओर से ट्रांसपोर्ट नगर बनाने के लिए भूमि चयन की प्रकिया तो शुरू की गई , लेकिन यह प्रकिया पूर्ण नहीं हो सकी। यहां तक कि जनप्रतिनिधियों ने ट्रांसपोर्ट नगर की स्थापना के लिए भी कोई खासी पहल नहीं की। इस कारण यहां के उद्योगों को जो रफ्तार मिलनी थी, वो रफ्तार व मुकाम नहीं मिल सका। यहां ट्रांसपोर्टरों को निराशा ही हाथ लग सकी।
हाथरस को जिले का दर्जा मिले 26 बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक यहां व्यापारियों की सुविधा के लिए ट्रांसपोर्टनगर की स्थापना नहीं हो सकी है। हालांकि कई बार प्रशासन की ओर से ट्रांसपोर्ट नगर बनाने के लिए भूमि चयन की प्रकिया तो शुरू की गई , लेकिन यह प्रकिया पूर्ण नहीं हो सकी। यहां तक कि जनप्रतिनिधियों ने ट्रांसपोर्ट नगर की स्थापना के लिए भी कोई खासी पहल नहीं की। इस कारण यहां के उद्योगों को जो रफ्तार मिलनी थी, वो रफ्तार व मुकाम नहीं मिल सका। यहां ट्रांसपोर्टरों को निराशा ही हाथ लग सकी।
वर्ष 1997 में हाथरस को जिले का दर्जा मिला। हाथरस जिले को उद्योग की नगरी कहा जाता है। रंग और हींग के लिए मशहूर हाथरस नगरी में रेडीमेड गारमेंट्स, आचार मुरब्बार, हैंडलूम आदि कारोबार होते हैं। यहां से बिहार, असम, गुजरात व अन्य प्रदेशों में माल जाता है। माल की लोडिंग अनलोडिंग का कोई स्थायी इंतजाम नहीं है। इससे व्यापार पर काफी असर पड़ता है। ट्रांसपोर्टर अपने ट्रक और मेटाडोर को सड़क किनारे खड़ा करने पर मजबूर हैं। इससे अन्य समस्याएं खड़ी हो रही हैं।
ट्रांसपोर्ट नगर के लिए भूमि चयन की प्रकिया चल रही है। संबंधित विभाग को इसे लेकर निर्देश जारी किए गए हैं।
यदि ट्रांसपोर्ट नगर बन जाए तो काफी सहूलियत मिलेगी। ट्रांसपोर्ट नगर न होने के कारण सड़कों के किनारे ट्रकों व अन्य वाहनों को खड़ा करना पड़ता है।
हाथरस जिला बने 25 साल हो गए, आज तक ट्रांसपोर्ट नगर पर किसी ने ध्यान नहीं दिया है। वाहनों को खड़ा करने के लिए स्थायी व्यवस्था नहीं है।
शहर में ट्रांसपोर्टनगर की स्थापना के लिए विधानसभा में भी सवाल उठाया गया था। मुख्यमंत्री के समक्ष भी शहर में ट्रांसपोर्टनगर की मांग की गई। ट्रांसपोर्ट नगर बनने से यहां शहर के उद्योग जगत का ऑक्सीजन मिलेगी। उद्योग बढेगा तो रोजगार के साधन भी बढ़ेगे, इसलिए शहर में ट्रांसपोर्टनगर की स्थापना के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है।