किरतपुर-नेरचौक फोरलेन पर मंडी-भराड़ी पुल से औहर तक जमीन की मांग अधिक है। यही कारण है कि इस क्षेत्र में बहुत जमीनें बिक चुकी हैं।
एम्स और फोरलेन के बनने से बिलासपुर की जमीनों के दाम 40 गुना तक बढ़ गए हैं। पांच से 10 लाख प्रति बीघा जमीन के दाम अब दो करोड़ रुपये तक पहुंच गए हैं। एम्स और फोरलेन के आसपास की जमीन धड़ाधड़ बिक रही है। रेलवे लाइन के किनारे भी जमीनें बिक चुकी हैं। इसमें प्रदेश ही नहीं, बाहरी राज्यों के लोग भी जमीनें खरीद रहे हैं। रेलवे, नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) और केंद्र सरकार की ओर से दिए गए दामों से भी अधिक दाम में लोग जमीनें दे रहे हैं।
किरतपुर-नेरचौक फोरलेन पर मंडी-भराड़ी, जकातखाना, ढलियार, तुन्हू, पट्टा कल्लर और बागी-मैहला सहित साथ के क्षेत्रों में फोरलेन बनने से पहले जमीनों के दाम 25 हजार से 50 हजार प्रति बिस्वा तक थे। अब ह दाम आठ लाख से 10 लाख प्रति बिस्वा पहुंच चुके हैं।
सरकारी परियोजनाओं के भूमि अधिग्रहण से अधिक निजी दाम
सरकार की ओर से रेल लाइन भूमि अधिग्रहण में सर्वाधिक मुआवजा 86 लाख प्रति बीघा मिला है। वहीं फोरलेन भूमि अधिग्रहण में 35 लाख प्रति बीघा सर्वाधिक मुआवजा दिया गया है। इस तरह सरकारी दाम और निजी दामों में बड़ा अंतर है।
मंडी-भराड़ी से औहर तक जमीन की मांग अधिक
किरतपुर-नेरचौक फोरलेन पर मंडी-भराड़ी पुल से औहर तक जमीन की मांग अधिक है। यही कारण है कि इस क्षेत्र में बहुत जमीनें बिक चुकी हैं। इस क्षेत्र में फोरलेन के साथ गोबिंद सागर झील स्थित है। इस झील में मंदिरों के पुनर्स्थापन की परियोजना बननी है और वाटर स्पोर्ट्स की गतिविधियां भी बड़े स्तर पर शुरू की जानी हैं। इसके चलते लोग यहां पर जमीन लेना चाह रहे हैं।
हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज से बढ़े बंदला की जमीनों के दाम
बिलासपुर की बंदला धार में बने हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज बनने से यहां की जमीनों के दाम में भी बढ़ोतरी हुई है। बंदला धार से बिलासपुर के लिए करीब तीन किलोमीटर लंबा रोपवे प्रस्तावित है। इस कारण भी लोग यहां जमीन खरीदना चाह रहे हैं।
शिमला-मटौर फोरलेन से भी बढ़ेंगे जमीनों के दाम
निर्माणाधीन शिमला-मटौर फोरलेन के चलते लोग इस फोरलेन पर जमीनें खरीद रहे हैं। इस कारण जमीनों के दाम बढ़ रहे हैं।
धारा 118 के तहत जिला में बाहरी राज्यों केवल कुछ एक लोगों ने व्यापार के लिए भूमि खरीदने के लिए आवेदन किया है। इन क्षेत्रों में अधिकतर जमीनें प्रदेश के ही लोग खरीद रहे हैं। निजी स्तर पर जमीनों की खरीद-फरोख्त के दामों को लेकर प्रशासन की कोई सहभागिता नहीं होती है।