इसका उल्लेख स्वयं केजरीवाल व मंत्री सौरभ भारद्वाज ने किया। मुख्यमंत्री ने 12 साल पहले रामलीला मैदान में भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू किए आंदोलन की चर्चा करते हुए मंच को प्रणाम किया। साथ ही, दावा किया कि 12 साल पहले की तरह इस बार भी वे कामयाब होंगे।
अन्ना आंदोलन के साथ-साथ कई आंदोलनों की कामयाबी के मद्देनजर आम आदमी पार्टी ने अध्यादेश के खिलाफ आंदोलन शुरू करने के लिए रामलीला मैदान को चुना। इसका उल्लेख स्वयं केजरीवाल व मंत्री सौरभ भारद्वाज ने किया।
मुख्यमंत्री ने 12 साल पहले रामलीला मैदान में भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू किए आंदोलन की चर्चा करते हुए मंच को प्रणाम किया। साथ ही, दावा किया कि 12 साल पहले की तरह इस बार भी वे कामयाब होंगे। वहीं, सौरभ भारद्वाज ने कहा कि रामलीला मैदान का लंबा इतिहास रहा है। यह रामलीला मंचन व राजनीतिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है। देश आजाद होने के बाद यहां से कई आंदोलन शुरू हुए और कामयाब हुए। इस तरह रामलीला मैदान आजाद भारत का धर्म क्षेत्र व कुरुक्षेत्र है। इस मैदान से बड़ी-बड़ी क्रांति शुरू हुई हैं और आज यहां से ही आम आदमी पार्टी ने एक बड़ी क्रांति शुरू करने का निर्णय लिया है।
उन्होंने लोकनायक जयप्रकाश के आंदोलन की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि जयप्रकाश आंदोलन की शुरुआत यहीं से हुई थी। उस आंदोलन के परिणाम से पूरा देश वाकिफ है। आम आदमी पार्टी रामलीला मैदान को जन्मभूमि मानती है और दिल्ली में तीन बार सरकार बनाने के लिए यहांं पर शपथ लेने के बाद उसका ग्राफ बढ़ने की कामयाबी भी उसके दिमाग में है। आप नेता संजय सिंह ने केजरीवाल को भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का अर्जुन करार दिया।
कौरवों ने पांडवों से राज छीना, वैसे ही आप से छीनने का प्रयास
मेरा रंग दे बसंती चोला… और सुनो गौर से दुनिया वालों, बुरी नजर ना हम पर मत डालो… देशभक्ति से ओतप्रोत गानों के बीच रविवार को रामलीला मैदान में आयोजित महारैली में आम आदमी पार्टी के नेताओं ने केंद्र सरकार को कौरवों की सेना, जबकि आम आदमी पार्टी को पांडव करार दिया। उन्होंने भाजपा पर आप से राजपाट छीनने का आरोप लगाया। वहीं, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निशाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रहे। उन्होंने अनेक मुद्दे उठाते हुए प्रधानमंत्री को कठघरे में खड़ा किया।
केजरीवाल ने कहा कि सभी राज्यों की सरकारें केंद्र सरकार के अध्यादेश लाने के निर्णय के खिलाफ हैं। इस तरह देश के 140 करोड़ लोग इस लड़ाई में साथ हैं और वे इस अध्यादेश का विरोध करके देश के जनतंत्र को बचाएंगे, क्योंकि केंद्र सरकार ने अब दिल्ली के लोगों की ताकत खत्म करने का कार्य किया है। भविष्य में यह अध्यादेश राजस्थान, पंजाब, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र आदि राज्यों के संबंध में लाने की तैयारी है, इसलिए हम सभी को मिलकर अध्यादेश को अभी ही रोकना पड़ेगा।
प्रधानमंत्री से देश संभल नहीं रहा है। वे देश की जगह दिल्ली पर ध्यान दे रहे हैं, जबकि आज देश में चारों तरफ महंगाई है। पेट्रोल 100 रुपये व डीजल 90 रुपये लीटर से है। दूध-सब्जियां सब महंगी हो गईं हैं। एलपीजी का सिलिंडर एक हजार रुपये से ज्यादा हो गया है। देश में चारों तरफ बेरोजगारी और भ्रष्टाचार फैला है, लेकिन इन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है कि इसे कैसे दूर करें। जीएसटी की वजह से आज देश में व्यापारियों का बेड़ा गर्क हो रखा है। अच्छी खासी चल रही रेलवे का भी बेड़ा गर्क करके रख दिया है। आज दिल्ली के लोग मुसीबत में हैं। उन पर यह अध्यादेश थोपा जा रहा है, लेकिन दिल्ली के सातों सांसद गायब हैं। वे जनता के सगे नहीं हैं, बल्कि भाजपा के गुलाम हैं और इसलिए घर में छिपे बैठे है।
मोदी बनाम केजरीवाल की दी चुनौती
केजरीवाल ने कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री को मिलाकर नरेंद्र मोदी को राज करते हुए 21 साल हो गए हैं और उन्हें आठ साल हुए हैं। लिहाजा वे चुनौती देते हैं कि कोई भी व्यक्ति प्रधानमंत्री के 21 साल व उनके आठ साल के कामकाज की तुलना कर ले और देख लें किसने ज्यादा काम किया है। उन्होंने कहा कि मनीष सिसोदिया व सत्येंद्र जैन को जेल में डालने से प्रधानमंत्री को हमारे काम बंद हो जाने की उम्मीद थी, लेकिन हमारे पास एक नहीं 100 मनीष सिसोदिया व 100 सत्येंद्र जैन हैं।
सिब्बल ने की विपक्षी एकता की वकालत
राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने रविवार को 2024 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का मुकाबला करने के लिए विपक्षी एकता की वकालत की। सिब्बल केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा आयोजित महारैली को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जिस तरह से केंद्र काम कर रहा है, लोकतंत्र में किसी अन्य सरकार या पार्टी के अस्तित्व के लिए बहुत कम जगह बची है। इसीलिए विपक्षी एकता की जरूरत है ताकि लोकतंत्र को बचाया जा सके।
राष्ट्रीय फलक पर पक्ष में माहौल बनाने के लिए आप का बड़ा दांव
राष्ट्रीय पार्टी बनने के बाद आम आदमी पार्टी अब राष्ट्रीय फलक पर भी दावेदारी मजबूत करने की मुहिम में है। केंद्र सरकार को सीधी चुनौती देकर वह गैर भाजपा शासित राज्यों के नेताओं को मजबूती का अहसास करा रही है। इसी राजनीति के तहत रामलीला मैदान से सियासी सफर शुरू करने वाली आम आदमी पार्टी ने केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ हुंकार भरी है।
राजनीति के रणनितिकारों का कहना है कि आम आदमी पार्टी ने महारैली कर आगामी लोकसभा चुनाव में पूरे दमखम के साथ उतरने की तैयारी की है। आप ने यह भी संदेश देने की कोशिश की है कि केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ अगर विपक्षी गठबंधन होता है तो उसमें अहम भूमिका में पार्टी रह सकती है। पंजाब और दिल्ली की सत्ता पर काबिज पार्टी अन्य राज्यों में भी लोकसभा चुनाव में गठबंधन के तहत बेहतर स्थिति में रह सकती है।
हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के जेल जाने से मुश्किलों का भी सामना करना पड़ रहा है। केंद्र सरकार से सीधी टक्कर और भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण देशभर की पार्टियों का समर्थन मांगना पड़ रहा है। लिहाजा, अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए बड़ा दांव महारैली से चला गया है।
इधर, रैली की खास बात यह भी रही कि वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल भी इसमें शामिल हुए। कपिल का नाम कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार रहा है। हालांकि, कांग्रेस ने महारैली से दूरी बनाए रखी। रणनीतिकारों की माने तो आप नेता लगातार कांग्रेस की खिंचाई करते आए हैं।
2011 में खुद केजरीवाल ने इसी रामलीला मैदान में तत्कालीन केंद्र व दिल्ली की कांग्रेस सरकार व नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोला था। अन्ना आंदोलन में भ्रष्टाचार के आरोप तत्कालीन केंद्रीय मंत्रियों पर लगाए थे। ऐसे में उस मंच को कांग्रेस कभी साझा नहीं कर सकती।