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अंबाला के साइंस उद्योग ने चीन को छोड़ा पीछे, कोरोना काल के बाद किए हैं कई बड़े परिवर्तन

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कोरोना काल के बाद से साइंस उद्योग ने अपने यहां बड़े परिवर्तन किए हैं। गुणवत्ता में सुधार के लिए ऑटोमेशन तकनीक और आधुनिक मशीनों का सहारा ले रहे हैं।

चीन से कड़ी प्रतिस्पर्धा मिलने के बावजूद अंबाला का साइंस उद्योग विदेश में भी अपनी धाक जमा चुका है। खास बात है कि यह उद्योग बढ़कर 5,000 करोड़ रुपये से अधिक का हो चुका है। कई देशों में तो यह चीन को भी पीछे छोड़ चुका है और यूरोपीय देशों में अब अंबाला के साइंस उद्योग के उत्पादों की आपूर्ति हो रही है।

कोरोना काल के बाद से साइंस उद्योग ने अपने यहां बड़े परिवर्तन किए हैं। गुणवत्ता में सुधार के लिए ऑटोमेशन तकनीक और आधुनिक मशीनों का सहारा ले रहे हैं। गुणवत्ता में सुधार की वजह से विदेश में भी यहां के उत्पादों की मांग बढ़ी है। उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि अभी तक अंबाला में बनने वाले साइंस उद्योग के उत्पाद सार्क और गल्फ देशों में जाते थे, लेकिन अब यूरोपीय देशों में भी इनकी मांग बढ़ी है। अंबाला के लघु एवं कुटीर उद्योग के तहत एक हजार उद्योग और 100 बड़े उद्योगपति एवं कर्मचारी चीन की प्रतिस्पर्धा के बीच विदेश में अपने उत्पादों की मांग बढ़ाने के काम को बखूबी अंजाम दे रहे हैं। यह उद्योग स्कूल कॉलेजों में प्रयोग होने वाले साइंस उत्पादों से लेकर अस्पतालों में इस्तेमाल होने वाली मशीनों तक का निर्माण करता है।

5000 करोड़ से अधिक का है अंबाला का साइंस उद्योग
अंबाला का साइंस उद्योग अपने उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार के लिए ऑटोमेशन और रोबोटिक तकनीक का सहारा ले रहा है। इसके लिए अंबाला साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट मैन्युफेक्चर्स एसोसिएशन (असीमा) के तहत उद्योगपतियों ने देश में विभिन्न स्थानों पर मशीनों के एक्सपो में भाग लेना शुरू किया। वहां उन्हें पता चला कि कई ऐसी नई मशीनें आ गई हैं जो कम समय में अधिक मात्रा में और ज्यादा गुणवत्ता के साथ उत्पाद तैयार कर सकती हैं। साइंस उद्योग से जुड़े कारोबारी इन आधुनिक मशीनों को खरीदकर अपने यहां लगा रहे हैं।

रिवर्स इंजीनियरिंग का सहारा लेकर चीन को पछाड़ा 
असीमा के अधिकारी बताते हैं कि कोविड-19 के समय से पहले कई उत्पादों के लिए चीन पर निर्भर रहना पड़ता था। लेकिन, केंद्र सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान ने सबकुछ बदल दिया। सरकार से प्रोत्साहन मिला तो उद्योग से जुड़े कारोबारियों ने चीन में बनने वाले उत्पादों को अंबाला में रिवर्स इंजीनियरिंग के माध्यम से तैयार किया। इसमें गुणवत्ता अच्छी मिली तो अन्य देश चीन की जगह भारत से उत्पाद खरीद रहे हैं।

और प्रतिस्पर्धा के लिए सरकारी मदद की जरूरत
असीमा के महासचिव गौरव सोनी बताते हैं कि उद्योग अभी तरक्की कर रहा है। लेकिन, सरकार की ओर से उनके लिए अलग स्थान मुहैया कराने के साथ ऐसी सहूलियत देने की जरूरत है, जिससे उद्योग और तेजी से बढ़ोतरी कर सकें। उन्होंने बताया कि अंबाला में कई छोटी यूनिट हैं। लेकिन, आज के दौर की प्रतिस्पर्धा को देखा जाए तो हम बड़ी यूनिटों की तरफ जाना चाहते हैं, लेकिन सरकारी विभागों में इतनी कागजी कार्रवाई होती है कि चाहकर भी हमें योजना का अधिक फायदा नहीं मिलता।

-अंबाला के बाद गुजरात में साइंस कारोबार शुरू हो रहा है। वहां बड़ी-बड़ी यूनिटें खोली जा रही हैं। अगर हरियाणा के साइंस उद्योग को बढ़ाना है तो सरकार को कागजी कार्रवाई कम करनी होगी।
-असीमा के महासचिव ने कहा, इससे चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी।

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