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चार साल मैनपुरी जेल में रहा जीवा, ऐशो आराम में नहीं थी कोई कमी, डीएम ने भी लिखा था शासन को पत्र

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संजीव माहेश्वरी मैनपुरी जेल में भी लंबा समय बिता चुका था। दो मई 2015 को जीवा नैनी जेल से प्रशासनिक आधार पर मैनपुरी जिला कारागार भेजा गया था।

मुजफ्फरनगर निवासी कुख्यात अपराधी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा मैनपुरी जेल में चार साल तक कड़ी सुरक्षा के बीच रहा। इस बीच साथी मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद वर्ष 2019 में उसे लखनऊ की जेल में स्थानांरित किया गया था। उसके खिलाफ विधायक हत्याकांड के अलावा कई आपराधिक मामले दर्ज थी।

मुजफ्फरनगर के रहने वाले कुख्यात अपराधी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की बुधवार को कोर्ट में पेशी के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई। हत्या करने वाला अधिवक्ता की वेश-भूषा में आया था। संजीव माहेश्वरी मैनपुरी जेल में भी लंबा समय बिता चुका था। दो मई 2015 को जीवा नैनी जेल से प्रशासनिक आधार पर मैनपुरी जिला कारागार भेजा गया था। तभी से कड़े सुरक्षा बंदोबस्त के बीच रखा गया था। उस पर विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड के अलावा कई आपराधिक मामले दर्ज थे। इसमें पेशी के लिए वह बख्तरबंद गाड़ी में रात के समय कड़े सुरक्षा बंदोबस्त के साथ ले जाया जाता था।
जीवा के साथी मुन्ना बजरंगी की जेल में हत्या के बाद उसकी सुरक्षा और बढ़ा दी गई थी। मैनपुरी जेल में उसे अलग बैरक में रखा गया था। बैरक के बाहर विशेष सुरक्षा तंत्र तैनात किया गया था। उसे खिलाने से पहले खाने की भी जांच की जा रही थी। मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद सुरक्षा कारणों के चलते उसके मैनपुरी जेल से स्थानांतरण के आदेश आ गए। 10 जून 2019 को बेहद गोपनीय ढंग से उसे लखनऊ जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था।
जीवा के पास मिली थी नकदी
मैनपुरी जिला कारागार में जीवा भले ही कड़े सुरक्षा बंदोबस्त में रह रहा था। लेकिन उसे सुविधाएं मिलने की चर्चाएं लगातार होती रहतीं थीं। इस बीच अधिकारियों के एक निरीक्षण में जीवा के पास 20 हजार रुपये की नकदी बरामद हुई थी।
2017 में तत्कालीन डीएम ने भी लिखा था पत्र
कुख्यात जीवा के मैनपुरी कारागार में निरुद्घ रहने के दौरान मार्च 2017 में तत्कालीन जिलाधिकारी ने भी शासन को पत्र भेजा था। इसमें सुरक्षा का हवाला देते हुए तत्कालीन जिलाधिकारी चंद्रपाल सिंह ने जीवा को किसी अन्य जेल में स्थानांतरित करने के लिए कहा था। दरअसल मार्च 2017 में जिला कारागार से चार बंदी दीवार फांदकर फरार हो गए थे। इसी कारण प्रशासन की चिंता बढ़ गई थी।

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