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लल्ला गद्दी की जमानत अर्जी खारिज, बरेली जेल में अशरफ से कराता था गुर्गों की मुलाकात

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लल्ला गद्दी के खिलाफ पहला मामला थाना बिथरी चैनपुर में दर्ज किया गया। नई जेल चौकी प्रभारी अनिल कुमार की ओर से यह रिपोर्ट लिखी गई थी। आरोप था कि अशरफ को लल्ला व उसके साथी जेल में कई सुविधाएं पहुंचाते थे।

बरेली जेल में बंद रहे अशरफ के गुर्गे मोहम्मद रजा उर्फ लल्ला गद्दी की जमानत अर्जी कोर्ट ने खारिज कर दी। यह आदेश विशेष न्यायाधीश पीसी एक्ट प्रथम सुरेश कुमार गुप्ता ने किया। वहीं अशरफ के साले सद्दाम क अब तक कोई सुराग नहीं लगा है। उस पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित है।

लल्ला गद्दी के खिलाफ पहला मामला थाना बिथरी चैनपुर में दर्ज किया गया। नई जेल चौकी प्रभारी अनिल कुमार की ओर से यह रिपोर्ट लिखी गई। आरोप था कि माफिया अतीक अहमद के छोटे भाई अशरफ को लल्ला व उसके साथी केंद्रीय कारागार टू में कई सुविधाएं पहुंचाते थे। जेल आरक्षी शिवहरि अवस्थी की मदद से अशरफ का साला सद्दाम व लल्ला गद्दी एक आईडी पर छह या सात लोगों को रुपये लेकर मिलाई कराते थे।

यह काम बिना किसी पर्ची के और नियत स्थान के अलावा किसी दूसरे स्थान पर कराया जाता था। अशरफ विभिन्न पुलिस अधिकारियों, गवाहों, अभियोजन अधिकारियों की हत्या या उन्हें धमकाने की योजना लल्ला गद्दी व सद्दाम से मिलाई के समय बनाता था। सद्दाम व लल्ला गद्दी जेल में अधिकारियों व कर्मचारियों को तमाम उपहार, रुपये व प्रलोभन देते थे।

अशरफ से थे गहरे संबंध 

अभियोजन की ओर से सरकारी वकील मनोज वाजपेयी ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि लल्ला गद्दी के अशरफ से गहरे संबंध थे, जिसके चलते उमेश पाल हत्याकांड जैसी घटना हुई। बता दें कि उमेश पाल हत्याकांड से पहले जेल में अशरफ से शूटरों की मुलाकात कराई गई थी।

लल्ला गद्दी ने पुलिस को दिए बयान में कहा कि वह सद्दाम व अशरफ एक ही बिरादरी के हैं, इसलिए उसका संपर्क सद्दाम से हो गया। रुपये कमाने के उद्देश्य से वह इनके साथ जुड़ गया। कोर्ट ने आदेश में कहा कि अभियुक्त का आपराधिक इतिहास है। इस मामले की गंभीरता व अभियुक्त की संलिप्तता को देखते हुए बिना गुण-दोष पर टिप्पणी किए जमानत अर्जी को खारिज किया जाता है।

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