जदएस कर्नाटक में भाजपा से गठबंधन के लिए तैयार है। पार्टी ने मांड्या, हासन, बैंगलुरु ग्रामीण और चिकबल्लापुर सीट मांगी है। हालांकि राज्य इकाई यह कह कर इस गठबंधन का विरोध कर रही है कि बिना जेडीएस के ही पार्टी पिछला प्रदर्शन दोहराने में कामयाब रहेगी।
लोकसभा चुनाव में विपक्ष की चुनौतियों से निपटने के लिए भाजपा की योजना राजग का आकार बढ़ाने और जरूरी बदलावों के जरिए राज्यों के संगठन को चाक चौबंद करने की है। इस रणनीति के तहत पार्टी नेतृत्व इसी महीने राजग का कुनबा बढ़ाने की योजना को अंतिम रूप देगी। इसके अलावा पार्टी इसी महीने मध्यप्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक के संगठन को नया चेहरा देने के साथ इन राज्यों से जुड़े सभी मुद्दों को सुलझाएगी। इसके अलावा केंद्रीय संगठन में भी परिवर्तन किया जाएगा।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि सोमवार और मंगलवार को हुई मैराथन बैठक में इन्हीं गुत्थियों को सुलझाने के लिए गृह मंत्री अमित शाह ने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, महासचिव सुनील बंसल और संगठन महासचिव बीएल संतोष के साथ माथापच्ची की थी। सूत्रों ने यह भी बताया कि तेलंगाना और आंध्रप्रदेश में टीडीपी और कर्नाटक में जेडीएस राजग में शामिल होने के लिए तैयार है। हालांकि इन दोनों ही मामलों में कई पेच हैं जिन्हें सुलझाया जाना बाकी है।
जदएस की राज्य इकाई कर रही विरोध
जदएस कर्नाटक में भाजपा से गठबंधन के लिए तैयार है। पार्टी ने मांड्या, हासन, बैंगलुरु ग्रामीण और चिकबल्लापुर सीट मांगी है। हालांकि राज्य इकाई यह कह कर इस गठबंधन का विरोध कर रही है कि बिना जेडीएस के ही पार्टी पिछला प्रदर्शन दोहराने में कामयाब रहेगी। बीते चुनाव में भाजपा को 28 में से 25 तो जेडीएस को महज एक सीट मिली थी। इसी हफ्ते केंद्रीय नेतृत्व गठबंधन पर अंतिम फैसला लेगा।
मध्यप्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना में वर्तमान अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा हो चुका है। मध्यप्रदेश और कर्नाटक में पार्टी क्रमश: बीडी शर्मा और नलिन कुमार कतील की जगह नए चेहरे को मौका देगी। कर्नाटक में पार्टी को नेता प्रतिपक्ष भी तय करना है। तेलंगाना में नई चुनौतियों के मद्देनजर वर्तमान अध्यक्ष बंदी संजय कुमार को बनाए रखने पर सहमति नहीं है। कुमार के खिलाफ राज्य के नेताओं ने कई शिकायत की है। सूत्रों का कहना है कि कुमार ने वैचारिक दृढ़ता और कड़ी मेहनत तो की मगर सबको साथ ले कर नहीं चल पाए।
दक्षिण में छोटे-छोटे दलों का बनाएंगे मोर्चा
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद भाजपा ने दक्षिण भारत में अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। पार्टी अब दक्षिण भारत के अलग-अलग राज्यों में नए साथियों की तलाश में है। पार्टी ने तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक सहित कुछ अन्य दलों और केरल में छोटे-छोटे दलों का नया मोर्चा बना कर लोकसभा चुनाव लड़ने का संकेत दिया है। हालांकि आंध्रप्रदेश में चंद्रबाबू नायडू और कर्नाटक में एचडी देवगौड़ा के राजी होने के बावजूद पार्टी अंतिम निर्णय नहीं कर पा रही। बीते हफ्ते जब टीडीपी के मुखिया नायडू की गृह मंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा से बातचीत में दोनों दलों के बीच तेलंगाना और आंध्रप्रदेश में गठबंधन पर सैद्धांतिक सहमति बन गई थी। हालांकि अब पार्टी को टीडीपी से गठबंधन करने पर मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में बेहतर रिश्ते वाले वाईएसआर कांग्रेस से दूरी बढ़ने का भय सता रहा है। पार्टी को डर है कि टीडीपी से गठबंधन के बाद अब तक विपक्षी एकता से दूर रहने वाली वाईएसआर कांग्रेस विपक्षी खेमे में शामिल हो जाएगा।
चेहरा बनाए जाने की चर्चा के बीच बीएल संतोष से मिलीं वसुंधरा
दो दिनों तक हुई मैराथन बैठक के अगले दिन वसुंधरा राजे सिंधिया ने संगठन महासचिव बीएल संतोष से मुलाकात की है। कर्नाटक के नतीजे के बाद भाजपा ने सिंधिया को विधानसभा चुनाव में पार्टी का चेहरा बनाने का संदेश दिया है। पार्टी ने फैसला किया है कि इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में किसी भी राज्य में प्रधानमंत्री को चेहरा नहीं बनाया जाएगा।
विस्तारित राजग की बैठक बुलाने की योजना
पार्टी की योजना राजग के घटक दलों की संख्या बढ़ा कर विस्तारित राजग की बैठक के जरिए विपक्ष को संदेश देने की है। इनमें सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा से बातचीत पूरी हो गई है। अकाली दल, हम से बातचीत की प्रक्रिया जारी है। जबकि टीडीपी के साथ गठबंधन पर सहमति के बावजूद कुछ मुद्दे हैं जिन्हे सुलझाया जाना बाकी है। पार्टी को टीडीपी से गठबंधन के बाद वाईएसआर कांग्रेस विपक्षी गठबंधन का अंग बन सकता है, जबकि वाईएसआर कांग्रेस से भाजपा के बेहतर रिश्ते रहे हैं।