एयर इंडिया ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा कि एयर इंडिया फ्लाइट एआई173डी मगदान से सैन फ्रैंसिस्कों के लिए आठ जून को स्थानीय समयानुसार सुबह 10.27 बजे उड़ान भर चुकी है और इसके रात 12.15 तक सैन फ्रैंसिस्को एयरपोर्ट पर पहुंचने का अनुमान है।
एयर इंडिया ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा कि एयर इंडिया फ्लाइट एआई173डी मगदान से सैन फ्रैंसिस्कों के लिए आठ जून को स्थानीय समयानुसार सुबह 10.27 बजे उड़ान भर चुकी है और इसके रात 12.15 तक सैन फ्रैंसिस्को एयरपोर्ट पर पहुंचने का अनुमान है। एयरलाइन ने कहा कि यात्रियों को जल्द से जल्द रवाना करने के लिए एयर इंडिया ने सैन फ्रैंसिस्को एयरपोर्ट पर अतिरिक्त मदद रखी है ताकि यहां पहुंचने पर सभी यात्रियों के क्लियरेंस से जुड़ी औपचारिकताओं को जल्द से जल्द पूरा कर लिया जाए।
इसी ट्वीट में कहा गया कि सैन फ्रैंसिस्को एयरपोर्ट पर मौजूद टीम यात्रियों की हर तरह से मदद के लिए तैयार है। न सिर्फ चिकित्सीय सेवा के लिए बल्कि उनके परिवहन की जरूरतों और इसके बाद हो सकने वाली मदद के लिए भी।
इससे पहले मंगलवार को दिल्ली-सैन फ्रांसिस्को उड़ान संख्या एआई-173 216 को मगादान हवाई अड्डे की ओर मोड़ दिया गया था, क्योंकि इसके एक इंजन में बीच हवा में खराबी आ गई थी। इसके बाद रूस के मगदान हवाई अड्डे पर इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई थी।
मगदान उत्तर-पूर्वी रूस में ओखोतस्क (Okhotsk) सागर के तट पर स्थित है और मगदान ओब्लास्ट के प्रशासनिक केंद्र के अंतर्गत आता है। बंदरगाह शहर मगदान मास्को से लगभग 10,167 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हवाई मार्ग से मॉस्को से मगदान पहुंचने में लगभग सात घंटे 37 मिनट लगते हैं।
एयर इंडिया ने ही की थीं यात्रियों के लिए ठहरने की व्यवस्था
एयर इंडिया ने पहले अपने बयान में कहा था कि सभी यात्रियों और चालक दल के सदस्यों को ‘होटल में ठहरने की व्यवस्था’ की गई है। लेकिन बुधवार को इसने कहा कि ‘बुनियादी ढांचे की बाधाओं’ के कारण उन्हें अस्थायी आवासों में रखने के लिए मजबूर होना पड़ा।
रूस में फंसे भारतीयों को दवाओं और खाने के सामान की किल्लत
रूस में फंसे भारतीयों को रात भर दवाओं और खाने के सामान की किल्लत का सामना करना पड़ा। रूस में जहां भारतीय फंसे हैं वहां एअर इंडिया का कोई ग्राउंड स्टाफ नहीं है। जिसके चलते यात्रियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हो रहे हैं जिसमें कुछ यात्री जमीन पर गद्दे में सोते दिख रहे हैं। भाषायी बाधाओं के कारण इन्हें स्थानीय प्रशासन से बात करने में भी दिक्कत का सामना करना पड़ा।