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भारतीय वित्त वर्ष 2026 तक 50 फीसदी से अधिक गैर-नकदी लेनदेन करेंगे, रिपोर्ट में दावा

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रेडसीर स्ट्रेटेजी कंसल्टेंट्स एंड प्लुरल बाय पाइन लैब्स (Redseer Strategy Consultants and Plural by Pine labs) की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना महामारी के दौरान पहली बार ई-कॉमर्स उपयोगकर्ताओं ने डिजिटल भुगतान को अपनाने में तेजी लाई।

भारतीय परिवार अपने वित्तीय लेनदेन का 35 प्रतिशत भुगतान डिजिटल रूप से करते हैं और वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) तक इसके 50 प्रतिशत को पार करने की उम्मीद है। मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। पे-टू-मर्चेंट पेमेंट्स (पी2एम) डिजिटल लेनदेन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारतीय परिवार किराना, फूड डिलीवरी और यात्रा लेनदेन के लिए 80 प्रतिशत डिजिटल भुगतान विधियों का उपयोग करते हैं।

रेडसीर स्ट्रेटेजी कंसल्टेंट्स एंड प्लुरल बाय पाइन लैब्स (Redseer Strategy Consultants and Plural by Pine labs) की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना महामारी के दौरान पहली बार ई-कॉमर्स उपयोगकर्ताओं ने डिजिटल भुगतान को अपनाने में तेजी लाई। भारतीय ई-कॉमर्स बाजार 4,00,000 करोड़ रुपये का है और वित्त वर्ष 2026 तक इसके 9,00,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। इस वृद्धि का अधिकांश हिस्सा टीयर-2 और छोटे शहरों के ग्राहक हैं।

रेडसीर के पार्टनर जसबीर जुनेजा ने कहा कि हमारे शोध से पता चलता है कि आने वाले तीन वर्षों में भारत में ऑनलाइन खरीदारी करने वालों की संख्या 50 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2026 तक 30 करोड़ से अधिक होने की उम्मीद है। यह भारत में ऑनलाइन भुगतान में बढ़ोतरी के मार्ग को प्रशस्त करता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2026 तक भारत में 85 प्रतिशत व्यवसाय डिजिटल रूप से सक्षम हो जाएंगे, स्मार्टफोन के उपयोग एवं इंटरनेट के विकास और डिजिटल भुगतान को लेकर बनाई गई सरकार की नीतियों से इसमें मदद मिलेगी।
चीन के बाद भारत में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की दूसरी सबसे बड़ी संख्या (70 करोड़ से अधिक) है और यह आने वाले वर्षों में डिजिटल भुगतान में भारत को वैश्विक नेता बनने की ओर अग्रसर करता है।
पाइन लैब्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी अमरीश राउ (B Amrish Rau) ने कहा कि भारत ने धीरे-धीरे ऑनलाइन भुगतान में क्रांति ला दी है। भविष्य में ऑनलाइन और ऑफलाइन बिक्री केंद्र (PoS) पर तकनीक-सक्षम डिजिटलीकरण में वृद्धि होगी और इसमें पाइन लैब्स की भूमिका को लेकर हम खुश हैं। उन्होंने कहा कि जैसा कि ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों ने डिजिटल भुगतान को अपनाया है, व्यवसायों ने भी डिजिटल लेनदेन को सक्षम करने के लिए प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाकर प्रतिक्रिया दी है।

रिपोर्ट का अनुमान है कि भारत में सात करोड़ व्यवसायों में से 75 प्रतिशत डिजिटल रूप से सक्षम हैं और वित्त वर्ष 2026 तक यह संख्या बढ़कर 85 प्रतिशत होने की उम्मीद है। यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) भुगतान ने बाजार के सबसे बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है। वित्त वर्ष 23 तक कुल डिजिटल भुगतान की मात्रा का 84 प्रतिशत हिस्सा है। भारत बिल भुगतान प्रणाली, जो विभिन्न बिल भुगतानों की सुविधा प्रदान करती है, इसमें वित्त वर्ष 2023 से वित्त वर्ष 2026 के बीच लगभग 30 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) हो सकती है और इसके 110 करोड़ लेनदेन से 240 करोड़ तक बढ़ने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ई-रुपी/सीबीडीसी, वॉयस पेमेंट, वियरेबल पेमेंट डिवाइस और बायोमेट्रिक पेमेंट जैसे उभरते रुझान फिनटेक कंपनियों, व्यवसायों और सरकार के बीच अधिक सहयोग को बढ़ावा दे सकते हैं।

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