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कानूनी लड़ाई में अपनों का सहारा नहीं, बेबस दिखा मुख्तार, बेटा-बहू व बड़ा भाई जेल में; पत्नी…

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विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए कोर्ट) अवनीश गौतम की अदालत ने सोमवार को करीब 32 वर्ष पुराने अवधेश राय हत्याकांड के मामले में माफिया मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई है। अदालत ने उस पर 1.20 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना अदा न करने पर मुख्तार को छह महीने की अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी।

लगातार छठवीं सजा के साथ ही माफिया मुख्तार अंसारी पर कानूनी शिकंजा और कस गया है। उसे कानूनी लड़ाई या फिर अदालतों में प्रभावी पैरवी के लिए अपनों का सहारा तक नहीं मिल रहा। सोमवार को वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट ने जब मुख्तार को उम्र कैद की सजा सुनाई, उस वक्त उसके परिवार का कोई सदस्य कोर्ट परिसर में मौजूद नहीं था। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पेश मुख्तार भी असहाय व बेबस दिखा।मुख्तार की बेबसी के पीछे की वजह पारिवारिक सदस्यों का जेल में या फिर अलग-अलग मामलों में फरार होना है। मऊ से विधायक बेटा अब्बास अंसारी चित्रकूट जेल में है। उसकी पत्नी निखत अंसारी भी जेल में है। पत्नी आफ्शा अंसारी फरार चल रही है। उस पर इनाम घोषित किया जा चुका है। छोटा बेटा उमर अंसारी भी फरारी काट रहा है। उसके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी हो चुका है। बड़ा भाई अफजाल अंसारी सजा काट रहा है। इससे मुख्तार टूट चुका है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेशी के दौरान कई बार बेबसी जाहिर भी कर चुका है।

मऊ सदर विधानसभा क्षेत्र से 26 वर्षों तक रहा विधायक
मुख्तार अंसारी ने बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर वर्ष 1996 में पहली बार मऊ के सदर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीता था। इसके बाद 2002 व 2007 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और जीतकर लखनऊ पहुंच गया। 2012 में कौमी एकता दल का गठन किया और चुनाव लड़कर जीत हासिल की। 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से टिकट की मांग की, लेकिन नहीं मिला।

इसके बाद कौमी एकता दल का बसपा में विलय कर दिया और बसपा के ही टिकट पर चुनाव मैदान में उतरा। इस चुनाव में भी जीत हासिल की। हालांकि, वर्ष 2022 के चुनाव से मुख्तार ने दूरी बनाई और अपनी राजनीतिक उत्तराधिकारी बेटे अब्बास अंसारी को बना दिया। अब्बास अंसारी ने पिता की परंपरागत सीट से ही सुभासपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की है।
60वें जन्मदिन से पहले मुख्तार को उम्रकैद की सजा
इसी 30 जून को को मुख्तार अंसारी 60 वर्ष का होने वाला है। उसका जन्म 30 जून 1963 को हुआ था। 60वें जन्मदिन से 25 दिन पहले यानी सोमवार को ही वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट ने अवधेश राय हत्याकांड के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई है।
साढ़े सत्रह साल से जेल में है माफिया
माफिया मुख्तार अंसारी की उम्र जेल के सलाखों के पीछे ही बीत रही है। वह साढ़े 17 वर्षों से जेल में है। मऊ दंगे के बाद मुख्तार अंसारी ने 25 अक्तूबर 2005 को गाजीपुर में आत्म समर्पण किया था और वहीं की जिला जेल में दाखिल हुआ था। मुख्तार जब से जेल में बंद है, तब से लेकर अब तक उस पर गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज हुए हैं। मुहम्मदाबाद के फाटक निवासी मुफ्तार अंसारी चार दशक से जरायम की दुनिया में है।
इस दौरान कई चर्चित आपराधिक घटनाओं में मुख्तार अंसारी का नाम आया। पूर्वांचल में कभी जिस मुख्तार अंसारी के इशारे पर सरकारें अपना निर्णय बदल लेती थी, आज उसी मुख्तार का बना बनाया हुआ साम्राज्य ढह रहा है। ये सिलसिला बीते छह-सात वर्षों में तेज हुआ है।
मखनू गिरोह का था सक्रिय सदस्य
मुख्तार अंसारी का जन्म 30 जून 1963 को उत्तर प्रदेश के युसुफपुर में हुआ था। वह कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मुख्तार अहमद अंसारी का पोता है। मुख्तार अंसारी मूल रूप से मखनू सिंह गिरोह का सदस्य था, जो 1980 के दशक में काफी सक्रिय था। अंसारी का यह गिरोह कोयला खनन, रेलवे निर्माण, स्क्रैप निपटान, सार्वजनिक कार्यों और शराब व्यवसाय जैसे क्षेत्रों में लगा हुआ था। अपहरण, हत्या व लूट सहित अन्य आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देता था। जबरन वसूली का गिरोह चलाता था। मऊ, गाजीपुर, वाराणसी और जौनपुर में सक्रियता ज्यादा थी।
जैसा किया, उसकी सजा मिल रही
मुख्तार अंसारी ने जैसा किया, उसकी सजा उसे मिल रही है। उसने कितने लोगों को बर्बाद किया है, इसका अंदाजा लगा पाना कठिन है। अब न्यायपालिका से एक-एक मामले का हिसाब मिल रहा है। इस फैसले से हर पीड़ित परिवार संतुष्ट होगा। – अल्का राय, पूर्व विधायक (दिवंगत भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की पत्नी)
पिता कृष्णानंद राय की हत्या में भी मुख्तार नामजद है। यह मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट के विचाराधीन है। न्याय मिलेगी, ऐसा भरोसा है। मुख्तार को अपने किए की सजा मिल रही है। पिता की हत्या 18 वर्ष पहले हुई थी। 
मुख्तार के भाई अफजाल अंसारी की सियासी पारी पर भी ब्रेक
गैंगस्टर मामले में गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट से दस साल की सजा मिलने के बाद माफिया के बड़े भाई अफजाल अंसारी की सियासी पारी भी ब्रेक लग गया है। अफजाल अंसारी गाजीपुर की मोहम्मदाबाद सीट से छह बार विधायक चुना गया था। गाजीपुर से दो बार लोकसभा का चुनाव भी जीता है। 2019 के लोकसभा चुनाव में अफजाल ने भाजपा के कद्दावर नेता व जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को हराया था।
अफजाल अंसारी ने वर्ष 1985 भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी। वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में अफजाल अंसारी को हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि, 2004 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर गाजीपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की। अफजाल ने 2009 और 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन हार का सामना करना पड़ा था।

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