प्लास्टिक की खपत कम करने से माइक्रोप्लास्टिक को कम किया जा सकता है। इसके लिए सिर्फ सरकार नहीं, बल्कि उद्योग और आम लोगों को भी मिलकर काम करना होगा। लोगों को व्यक्तिगत स्तर पर पहल करनी चाहिए, जैसे सिंगल यूज प्लास्टिक, बोतलबंद पानी और प्लास्टिक पैकेजिंग का उपयोग न करें।
जिस प्लास्टिक के बिना हम अपने चारों ओर नजर आने वाली कई चीजों की कल्पना भी नहीं कर सकते, वही आज हमारे लिए जहर बन चुका है। यह हवा, पानी, मिट्टी में तेजी से घुल रहा है और यहीं से हमारे शरीर में दाखिल हो रहा है। इसे रोकने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस को इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र ने ‘प्लास्टिक प्रदूषण के लिए समाधान’ तलाशने की थीम दी है। माइक्रोप्लास्टिक से बिगड़ते हालात पर
20 किलो प्लास्टिक कचरा पैदा किया एक भारतीय ने साल 2022 में
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कहता है कि देश के कुल कचरे में प्लास्टिक 8 प्रतिशत है। यह आंकड़ा कम लग सकता है, लेकिन जब पता चलता है कि इसकी मात्रा लगातार बढ़ रही है और यह सैकड़ों वर्षों तक वातावरण में बना रहता है, तो छोटी मात्रा के बड़े नुकसान हमें समझ आते हैं।