आरबीआई ने 2000 रुपये के नोट को चलन से बाहर करने का फैसला किया है। इस वजह से बैंकों में एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रकम आ गई है। इससे बैंक अब जमा पर ब्याज कम कर रहे हैं।
बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) पर अब कम ब्याज मिलेगा। एक्सिस बैंक, पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) ने इसकी शुरुआत कर दी है। इन तीनों ने विभिन्न अवधि के जमाओं पर ब्याज दरों में कटौती की है।
दरअसल, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 2000 रुपये के नोट को चलन से बाहर करने का फैसला किया है। इस वजह से बैंकों में एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रकम आ गई है। इससे बैंक अब जमा पर ब्याज कम कर रहे हैं। उपरोक्त तीनों बैंकों के बाद आने वाले समय में कई और बैंक भी एफडी की दरों में कटौती कर सकते हैं। विश्लेषकों का कहना है कि इस समय चालाकी इसमें है कि आप अभी एफडी कराते हैं तो बैंक वर्तमान ब्याज ही देंगे। ऐसे में आगे ब्याज दरें घटने के बाद भी आपको वर्तमान ब्याज मिलता रहेगा।
आगे और घटेंगी दरें
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक अगले हफ्ते से होनी है। महंगाई दर आरबीआई के दायरे में आने से उम्मीद है कि रेपो दर को जस का तस 6.5 फीसदी पर स्थिर रखा जाएगा। अप्रैल में भी इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ था। ऐसे में बैंक ज्यादा रकम आने पर जमा के ब्याज पर कटौती कर सकते हैं।
मई, 2022 से 2.5 फीसदी बढ़ी रेपो दर
गौरतलब है कि मई, 2022 से लेकर इस साल जनवरी तक आरबीआई ने रेपो दर में 2.5 फीसदी की वृद्धि की थी। इससे कर्ज और जमा पर ब्याज दरें तेजी से बढ़ गईं थीं। जमा पर जहां 9.5 फीसदी का ब्याज मिल रहा था, वहीं कर्ज पर भी 8.5 फीसदी से ज्यादा ब्याज लग रहा है।
एक्सिस बैंक : एक साल पांच दिन से ज्यादा व 13 माह से कम अवधि के जमा पर 6.80 फीसदी ब्याज दे रहा है, जो पहले 7.10 फीसदी था। 13 माह से ज्यादा व दो साल से कम के जमा पर 7.10 फीसदी ब्याज मिलेगा, जो पहले 7.15 फीसदी था।
पीएनबी : एक साल के जमा पर 6.75 फीसदी ब्याज दे रहा है, जो पहले 6.80 फीसदी था। पिछले माह इसने 666 दिन के जमा पर ब्याज 7.25 फीसदी से घटाकर 7.05 फीसदी कर दिया था।
यूनियन बैंक : बैंक नवंबर में 7.30 फीसदी ब्याज दे रहा था। हाल में इसने इसे घटाकर 7 फीसदी कर दिया है।
जमा पर इसलिए घट रहा है ब्याज
पिछले साल से बैंकों के कर्ज में तेज मांग आई थी। यह अक्तूबर, 2022 में 17.5 फीसदी तक पहुंच गया था। हालांकि, अब यह 15.5 फीसदी पर है। इस कर्ज को पूरा करने के लिए बैंक लगातार जमा पर ब्याज बढ़ा रहे थे और यह 9.5 फीसदी तक पहुंच गया था।
ऐसे हो रहा है 2000 के नोट का असर
2000 के नोट का कुल मूल्य इस समय 3.6 लाख करोड़ है। माना जा रहा है कि इसमें से अगर 30 फीसदी रकम भी बैंक में रह गई और बाकी रकम लोगों ने निकाल भी लिया तो बैंकों के पास एक लाख करोड़ से ज्यादा की नकदी बनी रहेगी। इससे बैंकों को आगे भी तरलता की दिक्कत नहीं होगी।