प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जून में अमेरिका के राजकीय दौरे पर जाने वाले हैं। उनके दौरे को ऐतिहासिक बताते हुए भारत-अमेरिका व्यापार परिषद (यूएसआईबीसी) के अध्यक्ष अतुल केशप ने कहा, इस यात्रा पर दुनिया की निगाहें टिकी हैं। परिषद ने कहा, भारत और अमेरिका न सिर्फ लोकतंत्र के लिहाज से दुनिया में सबसे अहम स्थान रखते हैं, बिल्क दोनों वैश्विक शक्तियों किसी भी संभावित संघर्ष को रोकने में भी सक्षम है। वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती भूमिका की चर्चा आज पूरी दुनिया कर रही है।
यूएसआईबीसी पीएम मोदी के दौरे से पहले 12 और 13 जून को इंडिया आइडिया शिखर सम्मेलन का आयोजन भी करने जा रही है। केशप ने कहा कि इसमें 200 से अधिक बड़ी कंपनियां शामिल होंगी। यह कार्यक्रम दुनिया को दिखाएगा कि किस तरह से अमेरिका और भारत की सरकारें, लोग और कॉर्पोरेट संस्थान सकारात्मक ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
रक्षा समझौतों पर हो सकते हैं हस्ताक्षर
अमेरिकी मीडिया की खबरों के मुताबिक पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन जनरल इलेक्ट्रिक को भारत में फाइटर जेट इंजन बनाने का परमिट देने के समझौते पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। यह सरकार से सरकार का समझौता होगा। इससे दोनों देशों के बीच रक्षा और प्रौद्योगिकी संबंध अगले स्तर तक बढ़ जाएंगे। इसे लेकर केशप ने कहा, रक्षा क्षेत्र में दोनों देशों के संबंध काफी मजबूत हुए हैं। हालांकि, अब भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
इंडस एक्स का आयोजन…
यूएसआईबीसी के मुताबिक, व्यापार परिषद की एयरोस्पेस व रक्षा समिति दोनों देशों के रक्षा क्षेत्र के उत्पादकों को करीब लाने के लिए इंडस एक्स का आयोजन करेगी। केशप ने बताया कि पीएम मोदी के दौरे को सफल बनाने की कवायद के तहत ही अगले सप्ताह अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन भारत जाने वाले हैं, जहां वे रक्षा मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से मुलाकात करेंगे।
आत्मनिर्भर भारत में भागीदार बनेंगी अमेरिकी कंपनियां
भारत-अमेरिकी रणनीतिक साझेदारी फोरम (यूएसआईएसपीएफ) के मुताबिक परमाणु समझौते के बाद से भारत और अमेरिका के रक्षा सहयोग काफी सुधरे हैं। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के साथ फरवरी में यूएसआईएसपीएफ के बोर्ड के सदस्यों की बैठक भी हुई थी। इसमें रक्षा उद्योग से जुड़ी अमेरिकी कंपनियों ने मोदी सरकार की आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत भारत में ही सैन्य हार्डवेयर बनाने, साइबर सुरक्षा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) जैसी उन्नत तकनीकों पर काम करने की प्रतिबद्धता दिखाई थी।