तुर्किये में निवर्तमान राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन फिर से राष्ट्रपति चुन लिए गए हैं। रविवार को चुनाव के दूसरे दौर में उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी कमाल कलचदारलू को करीब चार फीसदी मतों के अंतर से हरा दिया। देश के चुनाव बोर्ड की ओर से ऑनलाइन दी जा रही जानकारी के अनुसार 99 फीसदी मतपेटियों के मतों की गिनती के बाद एर्दोगन को 52.08 फीसदी जबकि कमाल को 48.92 फीसदी वोट मिले। राष्ट्रपति चुने जाने के लिए उम्मीदवार को 50 फीसदी से अधिक मत पाना जरूरी है।
विपक्षी दलों के करीबी मानी जाने वाले एएनकेए समाचार एजेंसी ने भी एर्दोगन को 51.9 फीसदी जबकि कमाल को 48.1 फीसदी वोट मिलने की बात कही है। कमाल छह दलों के साझा उम्मीदवार थे।
मतों की गिनती के बाद एर्दोगन ने इस्तांबुल में अपने घर के बाहर समर्थकों का अभिवादन किया और जीत की घोषणा की। उन्होंने कहा, मैं देश के सभी नागरिकों को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने अगले पांच साल के लिए मुझे फिर से सरकार की कमान सौंपी है। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी कमाल कलचदारलू का मजाक बनाते हुए कहा, बाय बाय बाय कमाल।
उन्होंने कहा, आज की विजेता हमारे सभी 8.5 करोड़ नागरिक हैं। नतीजों की आधिकारिक घोषणा से पहले ही इस्तांबुल में एर्दोगन समर्थकों ने जश्न मनाना शुरू कर दिया था। उन्होंने तुर्किये या सत्तारूढ़ पार्टी का झंडा लहराया और कारों के हॉर्न बजाकर खुशी जताई। 14 मई को चुनाव में एर्दोगन को 49.24 फीसदी, कमाल को 45.07 और सिनेन ओगन 5.28 फीसदी वोट मिले थे। किसी उम्मीदवार को 50 फीसदी से अधिक मत नहीं मिलने के कारण रनऑफ दौर की जरूरत पड़ी।
दो दशक से अधिक समय से सत्ता पर काबिज हैं एर्दोगन
एर्दोगन प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पिछले दो दशक से तुर्किये की सत्ता पर काबिज हैं और नतीजों ने दिखाया है कि उनकी लोकप्रियता आज भी कायम है। विपक्षी उम्मीदवार कमाल ने देश में सत्ता और व्यवस्था परिवर्तन के वादों के साथ चुनाव लड़ा था, लेकिन मामूली अंतर से जीतने से चूक गए। एर्दोगन तुर्किये की रूढ़ीवादी और धार्मिक जस्टिस एंड डेवेलपमेंट पार्टी (एकेपी) के अध्यक्ष हैं।
नतीजों का वैश्विक असर
तुर्किये यूरोप और एशिया के बीच स्थित है और नाटो का मजबूत सदस्य है। यहां सत्ता पर कौन काबिज है इसका वैश्विक प्रभाव होता है। एर्दोगन की सरकार ने पिछले दिनों स्वीडन के नाटो में शामिल होने को वीटो कर दिया था और वह रूस से मिसाइल रक्षा प्रणाली भी खरीद रहा है। कश्मीर मुद्दे को लेकर अर्दोआन पाकिस्तान के पाले में खड़े दिखते रहे हैं।
कट्टरपंथी वोटरों का समर्थन
एर्दोगन को कट्टरपंथी वोटरों का समर्थन हासिल है जो देश में इस्लामिक नीतियों को बढ़ावा देने और वैश्विक राजनीति में तुर्किये का प्रभाव बढ़ाने के पक्षधर हैं। विडंबना यह है कि आधुनिक तुर्किये की स्थापना अता तुर्क कमाल पाशा ने धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों पर की थी।
वहीं, राजधानी अंकारा में अपने पार्टी मुख्यालय में बोलते हुए कमाल कलचदारलू ने कहा कि वह तब तक लड़ते रहेंगे जब तक कि तुर्किये में “वास्तविक लोकतंत्र” स्थापित नहीं हो जाता। उन्होंने कहा कि यह हमारे इतिहास का सबसे अनुचित चुनाव काल था… हम डर के माहौल के आगे नहीं झुके। इस चुनाव में तमाम दबावों के बावजूद एक निरंकुश सरकार को बदलने की लोगों की इच्छा स्पष्ट हो गई।
एर्दोगन ने आखिरी चुनावी रैली में विपक्ष को घेरा था
अपने आखिरी रैली में एर्दोगन ने विपक्ष पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ मिलकर काम करने का आरोप लगाया था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि विपक्ष को पश्चिमी देशों से आदेश दिया जा रहा है। यदि उनकी सरकार बनती है तो वे पश्चिमी देशों की इच्छाओं के आगे झुक जाएंगे।
विदेशी प्रवासियों ने भी किया मतदान
पूरे यूरोप में 34 लाख तुर्किये वासियों ने अपने आप को मतदाता के तौर पर रजिस्टर कराया था। इनमें सबसे ज्यादा लगभग 15 लाख जर्मनी के हैं। उसके बाद फ्रांस का नंबर है, जहां तकरीबन चार लाख तुर्किये वासियों ने मतदान के लिए अपना नाम दर्ज कराया था। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, प्रवासी तुर्किये वासियों में इस चुनाव को लेकर गहरा विभाजन देखा गया। बड़ी संख्या में इन लोगों ने राष्ट्रपति एर्दोगन के पक्ष में मतदान किया, जबकि उनके विरोधी कमाल कलचदारलू को वोट देने वाले मतदाताओं की संख्या भी अच्छी