आयकरदाताओं को राहत देने के लिए सरकार किसी व्यक्ति की आय के स्रोत पर की गई कर कटौती (टीडीएस) से उसके भुगतान के लिए स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) को जोड़ने की तैयारी कर रही है। मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अनंत नागेश्वरन ने कहा, ऐसा करने के पीछे सोच यह है कि व्यक्तिगत करदाताओं के नकदी प्रवाह पर कोई असर न पड़े।
सीईए ने सरकार के कदम के बचाव में कहा, आपके टीडीएस से टीसीएस को ऐसे जोड़ा जाएगा कि अगर आपने टीसीएस का भुगतान किया है तो वह कम टीडीएस के रूप में नजर आए। टीसीएस और टीडीएस के बीच कोई मेल न होने से परेशान करदाताओं को नई व्यवस्था से राहत मिलेगी। टीसीएस किसी विक्रेता की ओर से सामान या सेवा की बिक्री के समय वसूला जाने वाला कर है। टीडीएस सरकार की ओर लगाया जाने वाला कर है।
20% टीसीएस के दायरे में नहीं आएंगे ज्यादातर लेनदेन
सरकार की यह कोशिश ऐसे समय सामने आई है, जब विदेश में 7 लाख से अधिक खर्च पर एक जुलाई, 2023 से 20 फीसदी टीसीएस की व्यवस्था लागू होने जा रही है। सीईए ने कहा, सरकार ने 7 लाख रुपये तक के लेनदेन को टीसीएस से बाहर रखा है। इससे छोटे करदाताओं को राहत मिलेगी। इसका मतलब यह भी है कि ज्यादातर लेनदेन 20% टीसीएस के दायरे में नहीं आएंगे।
अब तक 5.20 करोड़ टन चावल की खरीदारी
इधर, सरकार ने चालू विपणन सत्र 2022-23 में अब तक 5.20 करोड़ टन चावल की खरीद की है। खाद्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर हुई खरीद से 1.12 करोड़ किसानों को 1.6 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। भारतीय खाद्य निगम राज्य एजेंसियों से मूल्य समर्थन योजना के तहत धान की खरीद करता है। केंद्र ने विपणन सत्र 2022-23 में 6.26 करोड़ टन चावल खरीद का लक्ष्य रखा है।