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एसएसआईएम-सीआईएमटी की ई-मेल आईडी से खोले 3000 खाते, दस्तावेज मिलाने पर हुआ सनसनीखेज खुलासा

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हजरतगंज पुलिस ने 30 मार्च को दर्ज घोटाले की एफआईआर में कहा था कि दो ई-मेल आईडी के जरिये करीब 3 हजार बैंक खाते फिनो बैंक में खोले गए। इन खातों में छात्रवृत्ति की राशि आई। तफ्तीश में पुलिस ने नामजद संस्थानों से संबंधित दस्तावेज जुटाए। तब एक अहम तथ्य की तस्दीक हुई। बैंक खाते में इस्तेमाल ई-मेल ईडी के तथ्य का खुलासा हुआ।

करीब 200 करोड़ रुपये के छात्रवृत्ति घोटाले की तफ्तीश में एक और बड़े तथ्य का खुलासा हुआ है। जिन दो ई-मेल आईडी से तीन हजार बैंक खाते खोले गए थे, वह शहर के दो संस्थानों एसएस इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (एसएसआईएम) और सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी (सीआईएमटी) की हैं। घोटाले में भी दोनों संस्थान शामिल हैंहजरतगंज पुलिस ने 30 मार्च को दर्ज घोटाले की एफआईआर में कहा था कि दो ई-मेल आईडी के जरिये करीब 3 हजार बैंक खाते फिनो बैंक में खोले गए। इन खातों में छात्रवृत्ति की राशि आई। तफ्तीश में पुलिस ने नामजद संस्थानों से संबंधित दस्तावेज जुटाए। तब एक अहम तथ्य की तस्दीक हुई। बैंक खाते में इस्तेमाल ई-मेल ईडी के तथ्य का खुलासा हुआ। दर्ज की थी। इसके पहले ईडी इसकी तफ्तीश कर रही थी। ईडी ने केस दर्ज कर तीन लोगों को जेल भी भेजा था। सीआईएमटी की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, वहां सिर्फ पीजीडीएम चलता है। इसी कोर्स में बड़ा घोटाला किया गया।  एफआईआर में ओरेगॉन एजुकेशनल सोसाइटी भी नामजद है। इसका दफ्तर कुर्सी रोड पर है। सीआईएमटी इसी से संबंधित है। सूत्रों के मुताबिक, इसी सोसाइटी के तहत हाइजिया के सभी पांच संस्थान हैं। यानी एक सोसाइटी पर पांच संस्थान संचालित किए जा रहे हैं।

रिमांड पर लिए जाएंगे आरोपी

ईडी जिन तीन आरोपियों को जेल भेज चुकी है, पुलिस की एफआईआर में भी ये तीनों आरोपी हैं। एसआईटी ने इनसे संबंधित कई अहम साक्ष्य संकलित कर लिए हैं। कई विभागों से पुलिस को जानकारी मिलनी है। इसलिए विवेचना लंबी चल रही है। ठोस सुबूत जुटाने के बाद एसआईटी जेल भेजे गए आरोपियों को कस्टडी रिमांड पर ले सकती है। आरोपियों के खिलाफ ईडी व एसआईटी के पास पुख्ता सुबूत हैं। एसआईटी लगातार आरोपियों को नोटिस आदि देकर पूछताछ कर रही है।

टेलीकॉम कंपनी से मांगी जानकारी

एफआईआर में जिक्र किया गया है कि घोटाले में करीब 1200 सिम का इस्तेमाल किया गया। यह सिम फेक आईडी पर लिए गए। ये प्री-एक्टिवेटेड सिम थे। एसआईटी ने इन सिम के बारे में संबंधित टेलीकॉम कंपनी से जानकारी मांगी है। टेलीकॉम कंपनी के एजेंट भी रडार पर हैं।

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