इस्केमिक स्ट्रोक को लेकर हाल ही में जारी किए गए वैश्विक आंकड़े डराने वाले है। रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में जहां साल 1990 में इससे मरने वालों की संख्या औसत 20 लाख थी, वह साल 2019 में बढ़कर 3 मिलियन (30 लाख) से अधिक हो गई। इतना ही नहीं विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि 2030 तक इसके बढ़कर 50 लाख होने की आशंका है। चीन के शंघाई स्थित टोंगजी यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों कहा, “इस्केमिक स्ट्रोक की बढ़ती वैश्विक मृत्यु दर और इसमें और वृद्धि की आशंका चिंता का विषय है, लेकिन ये बेहतर है कि हम इसमें रोकथाम के प्रयास कर सकते हैं।
इस्केमिक स्ट्रोक मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह में रुकावट के कारण होने वाली दिक्कत है और यह स्ट्रोक का सबसे आम प्रकार है। शोधकर्ताओं ने कहा, सभी लोगों को इसके बारे में जागरूक रहते हुए बचाव के उपाय करते रहना चाहिए। जिस तरह से लोगों की लाइफस्टाइल खराब होती जा रही है, यह जानलेवा समस्या साल-दर साल बढ़ती देखी जा रही है।
स्ट्रोक के जोखिम कारक
में वैज्ञानिकों ने बताया कि जीवनशैली के कई कारक जैसे धूम्रपान और सोडियम की अधिकता वाले आहार के साथ-साथ उच्च रक्तचाप और बॉडी मास इंडेक्स का बढ़ना इसके प्रमुख जोखिम कारकों में से है। अगर हम इन सभी पर गंभीरता से ध्यान दे लें और सिर्फ लाइफस्टाइल को ही ठीक कर लें तो स्ट्रोक के खतरे को कम किया जा सकता है।
क्या कहता है अध्ययन
अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने 1990-2019 के ग्लोबल हेल्थ डेटा एक्सचेंज का विश्लेषण किया। जैसे-जैसे दुनिया की आबादी बढ़ी, इस्केमिक स्ट्रोक से होने वाली मौतों की वैश्विक संख्या 1990 में 2.04 मिलियन से बढ़कर 2019 में 3.29 मिलियन हो गई। हालांकि, स्ट्रोक की दर 1990 में प्रति एक लाख लोगों पर 66 स्ट्रोक से घटकर 2019 में 44 रह गई है।
प्रमुख शोधकर्ता लिजे जिओंग कहते हैं, “स्ट्रोक दर में इस कमी का मतलब है कि दुनिया भर में स्ट्रोक की संख्या में वृद्धि मुख्य रूप से जनसंख्या में वृद्धि और उम्र बढ़ने के कारण है। समय के साथ लोगों की लाइफस्टाइल भी काफी बिगड़ती देखी गई है।
ये हैं सात जोखिम कारक
शोधकर्ताओं ने पाया कि धूम्रपान सहित आहार में सोडियम की अधिकता, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, किडनी की समस्या, बढ़ा हुआ शुगर लेवल और हाई बीएमआई ये सात जोखिम कारक हैं जो स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा रहे हैं। शोधकर्ताओं ने डेटाबेस के विश्लेषण के आधार पर कहा कि साल 2020-2030 के बीच स्ट्रोक से मौतों की संख्या और भी बढ़ सकती है, अगर हम सभी ने इन जोखिम कारकों को कंट्रोल नहीं किया।