बुधवार को जारी एसएंडपी ग्लोबल इंडिया का सर्विसेज पीएमआई सूचकांक अप्रैल में बढ़कर 62 पर पहुंच गया। यह मार्च में 57.8 पर था। इन आंकड़ों से पता चलता है कि सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में 2010 के मध्य के बाद सबसे तेज विस्तार हुआ है।
कीमतों के मोर्चे पर दबाव के बावजूद अप्रैल, 2023 में देश में सेवा क्षेत्र की वृद्धि 13 साल में सबसे तेज रही। मजबूत मांग की वजह से नए कारोबार और उत्पादन में काफी तेज वृद्धि देखने को मिली। इससे सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में उल्लेखनीय तेजी आई।
बुधवार को जारी एसएंडपी ग्लोबल इंडिया का सर्विसेज पीएमआई सूचकांक अप्रैल में बढ़कर 62 पर पहुंच गया। यह मार्च में 57.8 पर था। इन आंकड़ों से पता चलता है कि सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में 2010 के मध्य के बाद सबसे तेज विस्तार हुआ है। यह लगातार 21वां महीना है, जब सेवा क्षेत्र में विस्तार हुआ है। खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) का 50 से ऊपर रहना गतिविधियों में विस्तार का संकेत है।
निर्यात तीसरे माह भी बढ़ा
एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस में एसोसिएट निदेशक (अर्थशास्त्र) पॉलियाना डी लीमा ने कहा, भारत के सेवा क्षेत्र का प्रदर्शन अप्रैल में शानदार रहा है। वित्तीय और बीमा क्षेत्र ने बेहतर प्रदर्शन किया है। कंपनियों ने संकेत दिया है कि अप्रैल में भारतीय सेवाओं की अंतरराष्ट्रीय मांग में खासा सुधार हुआ है। नया निर्यात कारोबार लगातार तीसरे महीने बढ़ा है।
एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस में एसोसिएट निदेशक (अर्थशास्त्र) पॉलियाना डी लीमा ने कहा, भारत के सेवा क्षेत्र का प्रदर्शन अप्रैल में शानदार रहा है। वित्तीय और बीमा क्षेत्र ने बेहतर प्रदर्शन किया है। कंपनियों ने संकेत दिया है कि अप्रैल में भारतीय सेवाओं की अंतरराष्ट्रीय मांग में खासा सुधार हुआ है। नया निर्यात कारोबार लगातार तीसरे महीने बढ़ा है।
उत्पादन लागत बढ़ी, रोजगार में मामूली वृद्धि
अप्रैल में रोजगार में मामूली वृद्धि रही। उत्पादन लागत पिछले तीन माह में सबसे तेजी से बढ़ी है। महंगाई की वजह खाने-पीने का सामान, ईंधन, दवाएं, परिवहन व मजदूरी हैं। उपभोक्ता सेवाओं पर औसत खर्च में सबसे तेज वृद्धि देखी गई है। उत्पादन लागत में वृद्धि और मांग में लचीलेपन की वजह से कंपनियों को अपना बिक्री मूल्य बढ़ाना पड़ा।
अप्रैल में रोजगार में मामूली वृद्धि रही। उत्पादन लागत पिछले तीन माह में सबसे तेजी से बढ़ी है। महंगाई की वजह खाने-पीने का सामान, ईंधन, दवाएं, परिवहन व मजदूरी हैं। उपभोक्ता सेवाओं पर औसत खर्च में सबसे तेज वृद्धि देखी गई है। उत्पादन लागत में वृद्धि और मांग में लचीलेपन की वजह से कंपनियों को अपना बिक्री मूल्य बढ़ाना पड़ा।