आरबीआई गवर्नर दास ने कहा, आरबीआई ने बैंकों की निगरानी के लिए विभिन्न ढांचे स्थापित किए हैं। जोखिमों के आकलन के लिए व्यापक उपाय भी लागू किए गए हैं।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि बैंकिंग प्रणाली में खराब रणनीतियों से बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। देश में अमेरिका व यूरोप जैसी स्थिति पैदा न हो, इसलिए केंद्रीय बैंक घरेलू कर्जदाताओं के कारोबार मॉडल पर बारीक नजर रखे हुए है।उन्होंने अमेरिका में हाल की घटनाओं के लिए खराब कारोबारी मॉडल को एक बड़ी वजह बताया। कहा, भारत की बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली मजबूत बनी हुई है। इस पर कुछ आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं में वित्तीय अस्थिरता का विपरीत असर नहीं पड़ा है। दास का यह बयान सिलिकॉन वैली बैंक के डूबने के कुछ सप्ताह बाद आया है। गवर्नर ने एक वैश्विक सम्मेलन में कहा, अमेरिका में हाल के घटनाक्रमों से यह सवाल खड़ा हुआ है कि क्या व्यक्तिगत बैंकों का कारोबारी मॉडल सही था। इन घटनाओं से सबक लेते हुए आरबीआई ने अब बैंकों के कारोबारी मॉडल पर निगाह रखनी शुरू की है।
- 16.1% था पूंजी पर्याप्तता अनुपात दिसंबर, 2022 में, जो न्यूनतम आवश्यकताओं से अधिक है
- घरेलू वित्तीय प्रणाली को मजबूत करने में मदद के लिए प्रतिबद्ध है केंद्रीय बैंक
- निगरानी के लिए स्थापित किए गए हैं विभिन्न ढांचे
दास ने कहा, आरबीआई ने बैंकों की निगरानी के लिए विभिन्न ढांचे स्थापित किए हैं। जोखिमों के आकलन के लिए व्यापक उपाय भी लागू किए गए हैं। उन्होंने कहा, बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को संगठनात्मक रूप से लचीला होने की जरूरत है। संस्थानों में खुद को विपरीत घटनाओं से बचाने की क्षमता होनी चाहिए। आरबीआई भविष्य के लिए भारतीय वित्तीय प्रणाली को मजबूत करने और इसकी सतत वृद्धि को समर्थन देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
बैंक प्रबंधन वित्तीय जोखिमों का करें आकलन
गवर्नर ने कहा, बैंकों के प्रबंधन और निदेशक मंडल नियमित रूप से वित्तीय जोखिम का आकलन करें। पर्याप्त पूंजी और तरलता ‘बफर’ बनाने पर ध्यान दें। बैंकों की लगातार मजबूती और सतत वृद्धि के लिए यह न्यूनतम नियामकीय जरूरत से अधिक होना चाहिए। उन्होंने अंशधारकों को सतर्क करते हुए कहा, दुनियाभर में परंपरा से हटकर नीतियां अपनाई जा रही हैं। ऐसे में वित्तीय क्षेत्र में किसी तरह का ‘आश्चर्य’ कहीं से भी देखने को मिल सकता है।
बैंकों के पास पर्याप्त पूंजी
दास ने कहा कि आरबीआई के दबाव परीक्षणों से पता चलता है कि अत्यंत संकट वाली स्थिति में भी भारतीय बैंक पूंजी पर्याप्तता अनुपात को न्यूनतम जरूरत से ऊपर रखने में सफल रहेंगे।
सकल एनपीए में कमी
बैंकों का सकल एनपीए अनुपात दिसंबर, 2022 में घटकर 4.41 फीसदी रह गया। मार्च, 2022 में यह 5.8 फीसदी और 31 मार्च, 2021 में 7.3 फीसदी रहा था।