पटियाला के गुलाब सिंह ने लॉकडाउन में धारोंकी गांव की लड़कियों के लिए नि:शुल्क प्रशिक्षण केंद्र शुरू किया था। वहां अब 18 बेटियां ट्रेनिंग ले रही हैं। इनमें से सात का जिले की टीम में चयन हो चुका है।
टीस से उपजे संकल्प का नतीजा
दरअसल गुलाब सिंह भी खुद क्रिकेटर बनना चाहते थे। वह जब छह वर्ष के थे तो उनके पिता का निधन हो गया। अमर उजाला से बात करते हुए गुलाब सिंह ने बताया कि उनके पास जानकारी और संसाधनों का अभाव था, इसलिए आगे नहीं बढ़ पाए। उनके मन में टीस थी कि वह जब भी काबिल हो जाएंगे तो अपने और गांव के बच्चों को जरूर खिलाड़ी बनाएंगे। सिपाही बनने के बाद उन्होंने सबसे पहले घर की छत पर अपनी बेटी और अन्य बच्चों के लिए खेलने की व्यवस्था की। एक बार उन्होंने गुजरात के गांव में बच्चों को खेतों में खेलते हुए देखा था। उनके मन में विचार आया, क्यों न वह भी अपने गांव में ही बच्चों के खेलने की व्यवस्था करें। इसी बीच मार्च 2020 में लॉकडाउन लग गया। बच्चों के स्कूल बंद हो गए। गुलाब सिंह ने अपने सपने को साकार करने के लिए मां हरजीत कौर से बात की। मां ने कहा, आपकी इच्छा है तो कर लो। वह अपनी छह वर्ष की बेटी और अन्य बच्चों को लेकर खेत पर पहुंच गए और क्रिकेट खिलाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे अन्य बच्चे भी आने लगे।
गुलाब सिंह के साथ ही उनका पूरा परिवार बेटियों को क्रिकेटर बनाने में लगा है। उनकी मां हरजीत कौर बेटियों की देखभाल करती हैं। वहीं, शासकीय क्लर्क उनकी पत्नी कमलदीप कौर भी समय निकालकर सहयोग करती हैं। व्हाट्सएप पर बच्चियों के परिजनों को सूचना देती हैं। बहन जसवीर कौर फीजियोथेरेपिस्ट की भूमिका निभाती हैं। हाल ही पटियाला जिले की चुनी गई टीम में धारोंकी की सात बेटियों का चयन हुआ है। गुलाब सिंह सुबह से शाम तक गांव से पटियाला आकर नौकरी करते हैं और शाम को करीब तीन घंटे बेटियों को प्रशिक्षण देते हैं। गुलाब सिंह की लगन को देखते हुए उनके अधिकारी भी सहयोग करते हैं।
मुफ्त मैच दिखाता है पीसीए
गुलाब सिंह बताते हैं कि 20 सितंबर 2022 को भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मोहाली में टी-20 मैच हुआ था। यह मैच उन्होंने अपने पैसे से टिकट खरीदकर सभी बेटियों को दिखवाया। मैच खत्म होने के बाद दर्शक अपने-अपने घरों को चले गए, लेकिन वह सभी बेटियों को लेकर उस जगह पहुंच गए, जहां से खिलाड़ियों की बस जाने वाली थी। इस दौरान पंजाब क्रिकेट संघ (पीसीए) के अधिकारी विक्रम सिंह सिद्धू की नजर क्रिकेट की ड्रेस में खड़ीं बेटियों पर पड़ी। उन्होंने बच्चियों को अपने पास बुलाया और बात की। बच्चियों ने बताया कि वे पटियाला जिले के धारोंकी गांव से यहां मैच देखने के लिए आई हैं। विक्रम सिंह ने पूरी जानकारी हासिल करने के बाद गुलाब सिंह से कहा, आज से इन बेटियों को मुफ्त मैच दिखाने की व्यवस्था वह करेंगे। आप बस इनको अच्छे से प्रशिक्षण दीजिए। इसके बाद विक्रम सिंह ने अपने साथ सभी बेटियों को खाना भी खिलाया। मोहाली में आईपीएल के पंजाब किंग्स के अब तक हुए 1, 13 और 20 अप्रैल के मैचों में धारोंकी की बेटियों ने पीसीए के सहयोग से मुफ्त में देखे हैं। सभी लड़कियां शुक्रवार को लखनऊ सुपरजायंट्स और पंजाब किंग्स के बीच होने वाले मैच को देखने के लिए भी जाएंगी।
इस वर्ष मार्च में आईपीएल की तर्ज पर शुरू हुई महिला प्रीमियर लीग से इन बच्चियों का हौसला और बढ़ गया है। पंजाब निवासी हरमनप्रीत कौर की अगुवाई में मुंबई की टीम ने डब्ल्यूपीएल को पहला खिताब जीता है। हरमन भारतीय टीम की भी कप्तान हैं। हरमन को आगे बढ़ता हुआ देखकर गुलाब सिंह के पास प्रशिक्षण के लिए आने वाली बेटियां भी प्रोत्साहित होती हैं। मोहाली में आईपीएल मैचों के दौरान ये बेटियां शिखर धवन, अर्शदीप सिंह, सैम कुरेन, राशिद खान सहित कई दिग्गज अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों से भी मिल चुकी हैं, जिससे इनका मनोबल बढ़ गया है। धारोंकी में प्रशिक्षण लेने वालों में सफाईकर्मी की 12 और 14 वर्षीय नैना व सुनैना के अलावा हर वर्ग की बेटियां है। किसी में कोई भेदभाव न लगे इसलिए गुलाब सिंह ने अपने खुद के रुपयों से सभी बेटियों को एक ही जैसी ड्रेस और क्रिकेट किट दिलवाई है। उल्लेखनीय है कि भारत की महिला प्रीमियर लीग अमेरिका की द वूमंस नेशनल बास्केटबाल एसोसिएशन (डब्ल्यूएनबी) के बाद विश्व की दूसरी सबसे धनाड्य लीग बन गई है।
न्यूयॉर्क टाइम्स के पहले पहले पेज पर छाईं बेटियां
धारोंकी की बेटियों के क्रिकेट प्रशिक्षण की खबर को अमेरिका के प्रमुख अखबर न्यूयॉर्क टाइम्स ने 27 अप्रैल के अंक में पहले पेज पर प्रमुखता से छापा है। यह खबर की है अखबार के दक्षिण एशिया के ब्यूरो चीफ मुजीब मशाल ने। मुजीब अफगानिस्तान के रहने वाले हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स में खबर छपने के बाद गुलाब सिंह के पास उनके परिचित अमेरिका और कनाडा से फोन कर बधाई दे रहे हैं।