शौहर अतीक, देवर अशरफ और बेटे असद की हत्या के बावजूद शाइस्ता का कुछ पता नहीं। घर की तीन-तीन लाशें उठीं, लेकिन वह किसी के जनाजे में शामिल होने नहीं पहुंची। सवाल यह है कि दुखों का पहाड़ टूट पड़ने के बावजूद शाइस्ता आखिर छुपी कैसे रह सकती है।
शौहर अतीक, देवर अशरफ और बेटे असद की हत्या के बावजूद शाइस्ता का कुछ पता नहीं। घर की तीन-तीन लाशें उठीं, लेकिन वह किसी के जनाजे में शामिल होने नहीं पहुंची। सवाल यह है कि दुखों का पहाड़ टूट पड़ने के बावजूद शाइस्ता आखिर छुपी कैसे रह सकती है। कहीं यह पांच हजार करोड़ से अधिक की काली कमाई को बचाने का दांव तो नहीं? डर है कि कहीं वह जेल जाए और उसके गुर्गे ही संपत्तियों पर काबिज हो जाएं। सवाल-कयास और भी हैं, लेकिन जवाब किसी के नहीं।
उमेश पाल हत्याकांड में नामजद होने के बाद शाइस्ता खुद ही 50 हजार की इनामी है। गिरफ्तारी से बचने के लिए वह सामने नहीं आ रही। पांच लाख के इनामी बेटे असद का एनकाउंटर हुआ तो यह लगा था कि शाइस्ता अपने बेटे का चेहरा जरूर देखने आएगी। मगर, यह कयास ही साबित हुआ। जिस बेटे पर जान छिड़कती थी, उसे वह आखिरी बार देखने तक नहीं पहुंची। इसके बाद अतीक और अशरफ की हत्या हुई तो किसी को कल्पना भी न थी कि वह नहीं आएगी।