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वैश्विक विकास में भारत और चीन की इस साल होगी आधी हिस्सेदारी, जानें IMF ने जीडीपी पर और क्या कहा?

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Economy: श्रीनिवासन ने कहा कि मौजूदा वैश्विक आर्थिक परिदृश्य का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था के संबंध में आईएमएफ के हालिया अनुमान भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमानों से कम हैं। आरबीआई ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में 7 प्रतिशत जबकि चालू वित्त वर्ष 2023-24 में 6.4 प्रतिशत वृद्धि दर रहने का अनुमान जताया है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 6.1 प्रतिशत से घटाकर 5.9 प्रतिशत कर दिया गया है। यह कमी घरेलू खपत में कमी आने और डेटा रिविजन के कारण किया गया है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि इस साल वैश्विक अर्थिक विकास में भारत और चीन का ही लगभग आधा हिस्सा होगा।

बता दें कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने मंगलवार को चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 6.1 प्रतिशत से घटाकर  5.9 प्रतिशत कर दिया। हालांकि इसके बावजूद भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा। आईएमएफ ने अपने वार्षिक विश्व आर्थिक परिदृश्य में वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल 2024 से मार्च 2025) के लिए पूर्वानुमान को इस साल जनवरी के 6.8 प्रतिशत से घटाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया है।

कोरोना महामारी से पहले आर्थिक स्थिति बेहतर थी, पर अब रिकवरी भी मजबूतः आईएमएफ
आईएमएफ के एशिया और प्रशांत क्षेत्र के विभागीय निदेशक कृष्णा श्रीनिवासन ने कहा कि भारत की वृद्धि दर में 6.1 प्रतिशत की तुलना में 5.9 प्रतिशत का मामूली संशोधन किया गया और संभवत: इसके दो कारण है। उनमें से एक कारण है घरेलू स्तर पर उपभोग दर में गिरावट शुरू होना, हालांकि इसकी गति बहुत धीमी है। अनुमान में बदलाव का दूसरा कारण 2019-2020 के दौरान के दौरान हुए डेटा रिविजन हैं, जो बताते हैं कि आर्थिक स्थिति महामारी के पहले बेहतर थी। महामारी का प्रभाव जितना हमने सोचा था, उससे कहीं अधिक सीमित रहा और रिकवरी मजबूत रही। आईएमएफ अधिकारी ने गुरुवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ये सभी इस तथ्य इस बात की ओर इशारा करते हैं कि महामारी के पहले की तुलना में उत्पादन का अंतर खत्म हो रहा है।

आर्थिक वृद्धि पर आईएमएफ के अनुमान भारतीय रिजर्व बैंक से कम  
श्रीनिवासन ने कहा कि मौजूदा वैश्विक आर्थिक परिदृश्य का असर भी भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था के संबंध में आईएमएफ के हालिया अनुमान भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमानों से कम हैं। आरबीआई ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में 7 प्रतिशत जबकि चालू वित्त वर्ष 2023-24 में 6.4 प्रतिशत वृद्धि दर रहने का अनुमान जताया है। सरकार की ओर से वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए जीडीपी के अंतिम आंकड़े जारी किया जाना बाकी है।

श्रीनिवासन ने कहा कि घरेलू स्तर पर सरकार पूंजीगत खर्च पर काफी जोर दे रही है और अगर यह उम्मीद से कम रहता है तो इससे वृद्धि के अनुमान पर भी असर पड़ सकता है। श्रीनिवासन ने कहा कि 2023 में वृद्धि मुख्य रूप से चीन की अर्थव्यवस्था में सुधार और भारतीय अर्थव्यवस्था में लचीली वृद्धि से प्रेरित होगी। अकेले इन दोनों अर्थव्यवस्थाओं का इस साल वैश्विक विकास में लगभग आधा हिस्सा होगा। उन्होंने कहा कि अन्य क्षेत्रों की अधिकांश अर्थव्यवस्थाओं में 2023 में आर्थिक वृद्धि दर सबसे निचले स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है।

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